235 स्कूल ही पूरे कर पाए मापदंड
लेकिन यहां एक गंभीर सवाल उठता है कि स्कूलों ने शासन द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा नहीं किया, फिर भी उनकी मान्यता की अनुशंसा कैसे भेजी गई। नामचीन स्कूल संचालकों ने बताया कि विभाग द्वारा प्रति स्कूल 20000 रुपए की अवैध वसूली की गई, जिसके बाद फर्जी तरीके से मापदंड पूरे करने की रिपोर्ट तैयार कर अनुशंसाएं भेजी गईं। फिलहाल डीपीसी ने केवल 235 स्कूलों की मान्यता जारी की है, जबकि 334 स्कूलों के आवेदन लंबित हैं और अब इनकी जांच की बात कही जा रही है।
ये मापदंड पूरा नहीं कर पाए स्कूल
शासन के नियमों के अनुसार स्कूलों को मान्यता के लिए न्यूनतम 10 कक्षों का होना अनिवार्य है, साथ ही कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी, स्टाफ रूम, खेल मैदान और बच्चों के लिए पृथक शौचालय भी आवश्यक हैं। इसके अलावा दिव्यांग बच्चों के लिए रैंप भी होना चाहिए। इसके बावजूद 75 स्कूलों ने इन मानकों को पूरा नहीं किया, लेकिन बीआरसीसी ने उनकी अनुशंसा की। जो प्रारंभिक जांच में पकड़ आई है।
ये है स्थिति
विशेष रूप से छतरपुर में स्थिति खराब है, जहां पर 225 स्कूलों के आवेदन आए थे। इनमें से 222 स्कूलों को बीआरसीसी ने सभी नियम पूरे बताते हुए अनुशंसा भेज दी, जबकि केवल तीन आवेदन लंबित हैं। इस पर सवाल उठते हैं कि क्या विभाग ने सही तरीके से जांच की है, या फिर इन स्कूलों को मान्यता देने के लिए नियमों को नजरअंदाज किया गया है। वहीं, नौगांव में 17 स्कूलों के आवेदन निरस्त किए गए हैं, जो अन्य ब्लॉक से अलग स्थिति दिखाते हैं। नौगांव विकासखंड में 150 स्कूलों ने आवेदन किए थे, जिनमें से 137 स्कूलों के प्रकरण को मान्यता के लिए भेजा गया, जबकि 17 स्कूलों के प्रकरण को निरस्त कर दिया गया।
इनका कहना है
शासन के निर्धारित मापदंडों के तहत मान्यता की अनुशंसा करने के निर्देश दिए गए थे, जांच कराई जा रही है। यदि इसमें कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो कार्रवाई की जाएगी।
एएस पांडेय, डीपीसी, छतरपुर