पायलट परियोजना
शोधकर्ताओं ने इस डिवाइस की उपयोगिता की जांच करने के लिए दो मौकों पर इसका उपयोग किया। पहली बार पश्चिमी चेन्नई के 15 वर्ग किमी के दायरे में वाहनों की आवाजाही, शहरी बसावट और क्रियाओं से होने वाले प्रदूषण की जांच की गई। निष्कर्ष यह निकला कि प्रदूषण का पैमाना हर जगह परिवर्तनशील था। इसी तरह दीपावली की शुरुआत से समाप्ति के छह दिनों की अवधि में साउथ चेन्नई के चार विशेष क्षेत्रों में वायु में पीएम 2.5 का माप किया गया। इन दोनों स्टडी के निष्कर्ष शोध पत्र में प्रकाशित किए गए हैं।आस-पास के प्रदूषण को भी जानने में मिलेगी मदद
मोबाइल वायु गुणवत्ता सेंसर व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल दोनों में व्यापक रूप से उपयाेगी होगा। निजी निगरानी उपकरण लोगों को उनके आस-पास के प्रदूषण के स्तर के बारे में जानने में मदद करेगा ताकि वे बचाव के उपाय कर सकें। अगर स्थानीय प्रदूषण स्तर ज्ञात हो तो यातायात मार्ग में बदलाव भी किया जा सकता है। यह स्मार्ट सिटी प्लानिंग में सरकार को भी आवश्यक इनपुट उपलब्ध कराएगा।