ऑनलाइन सीखा एथिकल हैकिंग
राजस्थान पत्रिका से बातचीत में संतोष ने बताया, वे मूल रूप से राजस्थान के जयपुर का रहने वाले हैं लेकिन पढ़ाई केरल में हुई है। उनके पिता का केरल में व्यवसाय है। वे बारहवीं कक्षा के कॉमर्स के छात्र हैं और ऑनलाइन प्लैटफार्म पर बीटीडब्ल्ययू संतोष (BTW Santhosh) नाम से मशहूर हैं। एथिकल हैंकिंग में रुचि की वजह से वे मैंगलूरु से इसी विषय में बीसीए भी कर रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने खुद ही सीखना शुरू किया और एथिकल हैकर बने। उनका दावा है कि वे कई साइबर ठगों को पकड़ा चुके हैं।
कम्प्यूटर व गैजेट्स से लगाव
असल में संतोष का जीवन कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के इर्द-गिर्द घूमता है। वो बताते हैं कि वे म्यूजिक प्लैटफार्म पर उनके गाए हुए गाने अपलोड़ हैं। वेबसाइट डिजायन और डेवलेप करने के साथ साथ ऐप डेवलेप करते हैं। उन्हें कंप्यूटर के साथ वक्त गुजारना बहुत अच्छा लगता है। इसलिए उन्हें कंप्यूटर से जुड़ी कई ऐसी जानकारियां हासिल हो गईं जो कई बार किसी बड़े शिक्षण संस्थान से शिक्षा लेने के बाद भी नहीं मिल पातीं।
एथिकल हैकिंग क्या होती है?
एथिकल हैकिंग पर जानकारी देते हुए संतोष ने बताया कि हमारे निजी और सार्वजनिक जीवन से जुड़ा हुआ तमाम महत्वपूर्ण डेटा इंटरनेट पर मौजूद हैं। ऐसे में इंटरनेट हैकर आपके महत्वपूर्ण डेटा को चुराकर आपको आर्थिक व समाजिक तौर पर नुकसान पहुंचाने के लिए दिन-रात प्रयास करते हैं। एथिकल हैकर इंटरनेट पर मौजूद बड़े वेबसाइट या फिर आपके विभिन्न अकाउंट के लूपहोल्स को दूर कर आपके डेटा को सुरक्षित करने का काम करते हैं।