आर्थिक और मानसिक संकट की वजह
40 की उम्र में एक प्रोफेशनल अपने करियर के “गोल्डन फेज़” की उम्मीद करता है, लेकिन अचानक नौकरी छिन जाने से यह सपना टूट जाता है। इस उम्र में जिम्मेदारियां अपने चरम पर होती हैं—बच्चों की कॉलेज फीस, माता-पिता की देखभाल, होम लोन की EMI जैसी कई वित्तीय देनदारियां होती हैं। लेकिन देशपांडे ने बताया कि इस उम्र के अधिकांश लोगों की बचत बेहद सीमित होती है। ऐसे में नौकरी का जाना एक आर्थिक आपदा के साथ-साथ मानसिक संकट भी लाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी छंटनियों से 40% वर्कर्स में गंभीर तनाव देखा गया है, खासकर भारत जैसे देशों में जहां मिडिल एज पुरुष अक्सर परिवार की मुख्य जिम्मेदारी संभालते हैं। सोशल मीडिया पर भी चर्चा
सोशल मीडिया यूजर्स ने भी इस बात की पुष्टि की कि 40 की उम्र में नई नौकरी ढूंढना या स्किल्स बदलना बेहद मुश्किल होता है। इस उम्र तक लोग आमतौर पर एक ही क्षेत्र या स्किलसेट में 15-20 साल बिता चुके होते हैं। नए स्किल्स सीखने के लिए जरूरी समय और पैसा हर किसी के पास नहीं होता, जिसके चलते वे इस बदलते दौर में पीछे छूट जाते हैं।
इस संकट से बचने के उपाय
देशपांडे ने LinkedIn पर एक सवाल के जवाब में इस चुनौती से निपटने के लिए तीन अहम सुझाव दिए। पहला, AI जैसी नई टेक्नोलॉजी में अपस्किलिंग पर ध्यान देना, ताकि प्रोफेशनल्स खुद को प्रासंगिक बनाए रखें। दूसरा, फाइनेंशियल प्लानिंग को प्राथमिकता देना और बचत बढ़ाना, ताकि आर्थिक संकट से बचा जा सके। तीसरा, एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट अपनाना, यानी अपनी क्षमताओं पर भरोसा करते हुए आत्मनिर्भर बनने की सोच रखना।
जरूरी चेतावनी और तैयारी
शंतनु देशपांडे की यह बात आज के दौर में एक जरूरी चेतावनी है, खासकर उन लोगों के लिए जो 35 या उससे अधिक उम्र के हैं। करियर की सुरक्षा अब केवल नौकरी पर निर्भर नहीं है, बल्कि उस लचीलापन और तैयारी पर टिकी है जो पहले से की जाती है। समय के साथ खुद को ढालना, अपस्किलिंग में निवेश करना और फाइनेंशियल बैकअप तैयार करना इस संकट से बचने के लिए बेहद जरूरी है। यह न केवल एक प्रोफेशनल चुनौती है, बल्कि एक सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारी भी है, जिसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।