Earth Day 2025: बॉलीवुड की इन फिल्मों ने ‘पृथ्वी’ का समझाया महत्व, प्रकृति के साथ छेड़छाड़ को बताया हानिकारक
World Earth Day 2025: पृथ्वी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। प्रकृति को बचाए रखना हमारे लिए कितना इंपॉर्टेंट है, ये बात बॉलीवुड की इन फिल्मों में दिखाई गई है- आइए जानते हैं।
International Earth Day 2025: ‘पृथ्वी है तो जीवन है’, यह केवल एक कथन नहीं, बल्कि सच्चाई है। पृथ्वी के बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है। जलवायु परिवर्तन से लेकर पर्यावरण संरक्षण तक, बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में बनी हैं जो न केवल पृथ्वी (Earth Day 2025) के महत्व को दर्शाती हैं, बल्कि प्रकृति को बचाने का अहम संदेश भी देती हैं।
इन फिल्मों की फेहरिस्त में ‘कड़वी हवा’, ‘जल’, और ‘वेल डन अब्बा’ जैसी फिल्में शामिल हैं। ये सिनेमाई कहानियां हमें यह एहसास दिलाती हैं कि प्रकृति के साथ की गई कोई भी लापरवाही या छेड़छाड़ कितनी गंभीर और हानिकारक हो सकती है।
International Earth Day 2025 पृथ्वी दिवस के अवसर (International Earth Day 2025) पर आइए, उन फिल्मों पर नज़र डालते हैं जो न सिर्फ मनोरंजन करती हैं, बल्कि हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक भी बनाती हैं।
‘कड़वी हवा’ से लेकर ‘तुम मिले’ तक
Kadvi Hawa Movie बॉलीवुड में ‘कड़वी हवा’ से लेकर ‘तुम मिले’ जैसी फिल्में आईं, जिन्होंने बताया कि अगर हम प्रकृति को संरक्षित नहीं करेंगे तो फिर प्राकृतिक आपदाओं का हमें सामना करना पड़ेगा। सूखा, कम बारिश, बाढ़ ये सब प्रकृति के साथ हुए छेड़छाड़ के ही नतीजे हैं।
साल 2018 में रिलीज हुई थी फिल्म केदारनाथ। आपदा पर आधारित फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान मुख्य भूमिका में थे। फिल्म में साल 2013 में आई बाढ़ के जिक्र के साथ मानवीय संवेदनाओं को भी दिखाया गया था। फिल्म का निर्देशन अभिषेक कपूर ने किया है।
प्रकृति में फैल रहे प्रदूषण पर आधारित है संजय मिश्रा की फिल्म ‘कड़वी हवा’
Kadvi Hawa Movie (2017) अभिनेता संजय मिश्रा की फिल्म ‘कड़वी हवा’ क्लाइमेट चेंज और प्रकृति में फैल रहे प्रदूषण की ओर ध्यान आकर्षित करती है। 2017 में रिलीज हुई फिल्म में खास मैसेज है कि यदि हम कुदरत की देखभाल नहीं करेंगे और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में लापरवाही करेंगे तो इसका परिणाम भयानक होगा। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर आधारित फिल्म का निर्देशन नील माधव पांडा ने किया है और निर्माण दृश्यम फिल्म्स, अक्षय परीजा और नील माधव पांडा ने मिलकर किया है।
फिल्म में संजय मिश्रा के साथ अभिनेता रणवीर शौरी मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म की कहानी में जलवायु परिवर्तन से बढ़ते जलस्तर और सूखे की समस्या को मनोरंजक तरीके से पेश किया गया है।
पानी का संरक्षण और उसका महत्व: ‘जल ही जीवन है’
Kaun Kitney Paani Mein (2015) पानी के संरक्षण पर बनी कॉमेडी-ड्रामा ‘कौन कितने पानी में’ साल 2015 में आई थी। फिल्म के केंद्र में पानी का संरक्षण और उसका महत्व था, जिसे हल्की-फुल्की कहानी के माध्यम से दर्शकों के सामने पेश किया गया था। नील माधव पांडा के निर्देशन में बनी फिल्म में सौरभ शुक्ला, कुणाल कपूर, राधिका आप्टे और गुलशन ग्रोवर मुख्य भूमिकाओं में हैं।
साल 2014 में आई थी ‘जल’। फिल्म में अभिनेता पूरब कोहली और कीर्ति कुल्हारी मुख्य भूमिका में हैं। पानी की समस्या के साथ फिल्म में एक प्रेम कहानी भी दिखाई गई है। कच्छ के रण में सेट फिल्म का मुख्य किरदार अपने गांव में सूखे की समस्या को हल करने की कोशिश करता है। फिल्म में अभिनेत्री कीर्ति कुल्हारी विलुप्त होते पक्षियों को बचाने में भी अहम भूमिका निभाती हैं। गिरीश मलिक के निर्देशन में बनी फिल्म का प्रीमियर बुसान अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2013 के ‘न्यू करंट्स’ सेक्शन में और भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के ‘भारतीय पैनोरमा’ सेक्शन में किया गया था।
फिल्म ‘वेल डन अब्बा’ की जानें खासियत; जानिए क्या कहती है कहानी?
Well Done Abba साल 2009 में आई थी निर्देशक श्याम बेनेगल की फिल्म ‘वेल डन अब्बा’। फिल्म की थीम स्पष्ट और शानदार थी। इसमें एक बावड़ी को केंद्र में रखकर दिखाया गया कि कैसे सरकारी घपले होते हैं और सरकार की योजनाएं जब भ्रष्टाचार के कोहरे में धुंधली हो जाती हैं तो गांव वालों को किस तरह से पानी की समस्या से जूझना पड़ता है। खोखले सिस्टम की पोल खोलती फिल्म में अभिनेता बोमन ईरानी दोहरी भूमिका में हैं। उनके साथ फिल्म में अभिनेत्री मनीषा लांबा समेत अन्य कलाकार अहम भूमिकाओं में हैं।
‘वेल डन अब्बा’ साल 2007 में आई मराठी फिल्म ‘जौ तिथे खाऊ’ की रीमेक है। सामाजिक मुद्दे पर बनी फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए साल 2009 का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार अपने नाम किया था।