ट्रांसफर होने से कुछ घंटे पहले पत्रिका से इंटरव्यू में उन्होंने बोर्ड एग्जाम देने वाले बच्चों को संदेश दिया कि कुछ दिन बाद रिजल्ट आएगा। अगर इसमें कम अंक आए है तो निराश होने की जरूरत नहीं है। ये सिर्फ एक परीक्षा के नंबर है। इसे अपना पैरामीटर मानने की गलती न करें। ऐसे कितने बच्चे हैं जो बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक लाते हैं, लेकिन अगली परीक्षा में वे सफल नहीं हो पाते। पेश है उनसे पूछे गए प्रश्न और जवाब के प्रमुख अंश…
Q मनमाफिक परिणाम न आने पर कुछ छात्र डिप्रेशन में गलत कदम उठा लेते हैं?
जवाब- जीवन में स्ट्रगल जानबूझकर नहीं होता। ये अचानक सामने आते हैं। चाहे वह फाइनेंसियल हो या इमोशनल। बच्चों के कई स्ट्रगल पैरेंट्स को नजर नहीं आते हैं। पढ़ाई में हर बच्चा टॉप करना चाहता है। जिस समय आप सबसे लो पर होते है तो दो ऑप्शन होते हैं। या तो आप उससे भी नीचे चले जाओ जिसमें आत्मविनाशकारी कदम हैं। दूसरा बेहतर विकल्प है कि पॉजीटिव सोच के साथ उसमें बेहतर करें। मैं 10वीं में थर्ड डिवीजन से पास हुआ था यानी पढ़ाई में बिलो एवरेज था। पापा ने कहा था दोबारा एग्जाम दे दो। मैं कहा नहीं, अगर फिर इससे कम अंक आए तो मेरा दो साल बर्बाद हो जाएगा। इसलिए मैंने बेहतर करने की सोचा और 12वीं में 65 प्रतिशत अंक लाया। ग्रेजुएशन में 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। इसके बाद यूपीएससी भी क्लियर किया।
Q परीक्षा परिणाम को छात्र और अभिभावक कैसे लें?
जवाब- अभिभावक और शिक्षक को यह समझने की जरूरत है कि हर बच्चा अपना बेस्ट देना चाहता है। मीडिल क्लास फैमिली अपनी बच्चों से अपनी पहचान बनाना चाहती है। जिसका बच्चा जेईई या नीट क्वालिफाई कर लिया या अच्छे अंकों से पास हो गया तो वह बेटे के नाम पर अपनी बढ़ी इज्जत को सोसाइटी में बनाए रखना चाहता है। इसके लिए वह बच्चों को डबल प्रेशर देना चाहते हैं। पैरेंट्स को इस पहचान से दूर होने की जरूरत है। बच्चे को अच्छी तरह सपोर्ट करें। Q उच्च शिक्षा के लिए छात्र विषय का चयन कैसे करें?
जवाब- खुद को एनालाइस करें। ऐसा नहीं कि साइंस लेने वालों को अच्छा कहते हैं तो मैं भी ये विषय ले लेता हूं। छात्र अपनी रुचियों को पहचानें, सोचें किस विषय को पढ़ने में आनंद आता है। भविष्य के अपने लक्ष्य को निर्धारित कर उसके विभिन्न विकल्पों की जानकारी करें।
Q आपके छात्र जीवन का उदाहरण, जब आप दबाव में आए हों?
जवाब- प्रेशर, स्ट्रेस और फस्ट्रेशन ये तीन अलग अलग विषय हैं। विद्यार्थी, शिक्षक, अधिकारी हो या कारोबारी, प्रेशर तो लेना ही चाहिए। इससे हम अच्छा करने के लिए प्रेरित होते हैं। प्रेशर नहीं होने से हम लापरवाह भी हो सकते हैं। हां, प्रेशर को स्ट्रेस की ओर न ले जाकर उसे चैनललाइज करके पॉजीटिव करना चाहिए। जो हमारी एफिसिएंसी में बदल जाए और बेहतर परिणाम हासिल हो।
Q इन दिनों नंबरों की गलाकाट प्रतिस्पर्धा चल रही है। बोर्ड के अंक कितने महत्व के हैं?
जवाब- अंकों का महत्व तो है। इससे कान्फीडेंस आता है। 50 प्रतिशत और 85 प्रतिशत अंक लाने वाले बच्चे के कान्फीडेंस से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। उच्च शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए बोर्ड परीक्षाओं के अंकों का महत्व है। लेकिन बोर्ड परीक्षाओं के अंक ही आपकी पूरी क्षमता और भविष्य की सफलता का निर्धारण नहीं करते हैं। इसलिए कम अंक आने पर मेहनत करें।
नाकामियों से निकला शख्स 10वीं में 44%, स्टेट पीएससी में 10 बार फेल
आईएएस अवनीश शरण ने अपनी शुरुआती पढ़ाई एक सरकारी स्कूल से प्राप्त की। 10वीं में केवल 44.7 प्रतिशत अंक, 12वीं में 65 प्रतिशत अंक पाकर थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया। ग्रेजुएशन में 60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज और सेंट्रल पुलिस फोर्सेस परीक्षाओं में भी असफल रहे। उन्होंने छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों की स्टेट पीएससी में 10 बार फेल हुए। लेकिन अपनी स्ट्रेंथ पर फोकस किया। यूपीएससी के पहले प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन वे डिसक्वालिफाई हो गए। दूसरे प्रयास में उन्होंने 77वीं रैंक हासिल की। 2009 में सिविल सेवा अधिकारी (आईएएस) बनने का सपना आखिरकार सच हो गया।