तिमेनार में अब भय की जगह उजाला और आतंक की जगह उमीद ने ले ली है। गांव के 53 घरों में शत-प्रतिशत विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया है, जिससे पूरे गांव में हर्ष और उल्लास का माहौल है। भैरमगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत बेचापाल के आश्रित गांव तिमेनार के निवासियों ने पीढ़ियों तक बिजली की रोशनी नहीं देखी थी। अब, जब शासन-प्रशासन ने इन दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंच बनाकर जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना शुरू किया है, तो ग्रामीणों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का सपना साकार हो रहा है।
अब डर नहीं लगता, खुशियों का उजियारा छाया
गांव के निवासी मशराम, पंडरु कुंजाम, मंगली और प्रमिला वेको ने बताया कि गांव में पहली बार बिजली पहुंची है, अब रात के अंधेरे से डर नहीं लगता। जंगली जानवरों, सांप-बिच्छू के भय से भी मुक्ति मिली है। बच्चों की पढ़ाई लिखाई आसान हो गई है, और अब हम भी विकास की दौड़ में शामिल हो रहे हैं।’’ ग्रामीणों का कहना है कि अब न केवल आतंक और भय का माहौल समाप्त हो रहा है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी सुधर रही है। गांवों में हो रहा बुनियादी सुविधाओं का विस्तार
तिमेनार में विद्युतीकरण के साथ-साथ सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार भी हो रहा है। तिमेनार अब सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि बस्तर के बदलाव की जीवंत मिसाल बन गया है। जहाँ कभी अंधकार और
आतंक का बोलबाला था, वहीं अब बिजली की रोशनी, बच्चों की मुस्कान और विकास की रतार है। योजना की सफलता नहीं, बल्कि राज्य व प्रशासन की सक्रियता और जनता के विश्वास का प्रतिफल है। बदलाव की यह यात्रा बताती है कि जब इरादे मजबूत हों ।