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इसके बाद उनका दस दिनों का संघर्ष शुरू हुआ। बिना किसी सहारे, बिना किसी पहचान के, शहर की सड़कों पर भटकते हुए पेट भरने के लिए उन्होंने भीख तक मांगी। अपने घर, शहर यहां तक कि लोगों को वे भूल बैठे। इधर, पिता की तलाश में बेटा हितेश भटकता रहा। भोपाल के एमपी नगर थाने में गुमशुदगी भी दर्ज कराई।
लोगों ने की मदद, बिछड़ों से मिलाया
भोपाल(MP News ) में भटकते बुजुर्ग नानूराम थक-हार कर कटारा रोड पर सड़क के किनारे बैठे थे। तपती धूप में बैठे बुजुर्ग पर जब कुछ समाजसेवियों की नजर पड़ी तो उन्होंने पहले उन्हें भोजन कराया, फिर बातचीत करने पर उन्हें पता चला कि वे बालाघाट से आए थे और घर का रास्ता ही भूल बैठे हैं। समाजिक कार्यकर्ता पारस व उनके साथियों ने नानूराम को आसरा वृद्धाश्रम तक पहुंचाते हुए पुलिस को इसकी खबर दी। इसके बाद बालाघाट और भोपाल पुलिस ने सामंजस्य के साथ बुजुर्ग की पहचान कर उन्हें बेटे हितेश से मिलाया।