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एमपी में 850 करोड़ के सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट की रखी जाएगी नींव नगर निगम ने फव्वारों को चोरों से बचाने के लिए जाली लगाई, जिसे भी अराजक तत्व उखाड़ ले गए, जबकि एक फाउंटेन पर करीब 8-10 लाख खर्च हुए हैं। बता दें कि समिट के दो दिन बाद ही करीब 6 लाख की लाइट्स चोरी हो गई थीं। इसके बाद भी स्थानीय प्रशासन ने कोई सजगता नहीं दिखाई।
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सुरक्षा का नहीं रखा ध्यान
महंगे फव्वारों को बनाते समय ही इनकी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए था। हर फव्वारे को एक निर्धारित पैटर्न के तहत बनाया जाता है। इस तरह से जाली लगाने से इनकी सुंदरता जरूर प्रभावित होगी। –
डॉ. जगदीश सिंह, प्रोफेसर, मैनिट चोरी रोकने के लिए जाली लगाई गई हैं, जिससे सुंदरता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सीसीटीवी कैमरे की मॉनिटरिंग हमारे पास नहीं होती है। इसलिए एफआईआर जैसे कदम नहीं उठाए गए हैं। – उदित गर्ग, चीफ इंजीनियर, वाटर वर्क
स्थिति-1: पाइपों को मोड़ा
पॉलिटेक्निक चौराहा पर दो फव्वारे बनाए गए। एक हिंदी भवन के तरफ और दूसरा रोशनपुरा की ओर जाने वाले रोड पर। दोनों पर लोहे की जाली लगा दी गई है। इन फव्वारों के कुछ पाइपों को मोड़ दिया गया, जबकि कुछ के नोजल चोरी हो गए हैं। स्थिति-2: दो नोजल की लाइट्स खराब: लिंक रोड नंबर-1 पर शिवाजी की प्रतिमा के पास फव्वारा बनाया गया है। इसे भी लोहे की घनी जाली में बंद किया गया है, जिससे सुंदरता गायब हो गई है। यहां के एक नोजल से पानी नहीं निकल रहा है, जबकि एक पाइप का नोजल ही गायब है। वहीं दो नोजल की लाइट्स बंद थी।
स्थिति-3: स्टार्टर ताले में बंद: मानव संग्रहालय के मुख्य द्वार के पास भी फव्वारा बनाया गया है, जो बंद पड़ा था। इसके स्टार्टर को ताले में बंद किया गया है। इस फव्वारे के कुछ पाइप में नोजल थे, जबकि अधिकांश पाइप के नोजल गायब मिले। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस फव्वारे को कभी चालू किया जाता है, तो कभी नहीं किया जाता है।