एडवोकेट यूनियन फॉर डैमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस की याचिका में मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी 51 प्रतिशत बताई गई है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने अनावेदकों को जवाब पेश करने की अंतिम मोहलत प्रदान की।
एमपी हाईकोर्ट ने सरकारी रुख पर ऐतराज जताया, युगलपीठ ने चेतावनी दी है कि अगली सुनवाई में जवाब पेश नहीं करने पर 15 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई जाएगी। याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 16 जून की तारीख तय की गई है।
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हाईकोर्ट ने सरकारी रवैए पर नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने सरकार को जवाब देने के लिए 2 हफ्ते की अंतिम मोहलत देते हुए ये भी साफ कर दिया है कि अब जवाब नहीं आने पर सरकार पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। एडवोकेट यूनियन फॉर डैमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस की याचिका में ओबीसी वर्ग की सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की मांग की गई है। दावा किया है कि 2011 की जनगणना में मध्यप्रदेश में एससी की 15.6 प्रतिशत, एसटी की 21.14 प्रतिशत, ओबीसी की 50.9 प्रतिशत, मुस्लिम की 3.7 प्रतिशत और शेष 8.66 प्रतिशत अनारक्षित वर्ग की जनसंख्या है। एमपी में वर्तमान में एससी को 16 प्रतिशत, एसटी को 20 प्रतिशत और ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। याचिका में ओबीसी वर्ग की आबादी 51 प्रतिशत के अनुपात में ही आरक्षण देने की मांग की गई है।