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Sirpur Temple: प्राचीन अवशेष एवं पवित्र गुफाएं… सिरपुर का ऐतिहासिक शिव मंदिर बन सकता है धरोहर बताया जा रहा है कि यूनेस्को ने मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण आवेदन पर विचार नहीं किया। ऐतिहासिक धरोहर
सिरपुर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए सिर्फ कागजों में प्रयास हुए। सरकार की ओर से पर्यटकों की सुविधा बढ़ाने पर कोई काम नहीं हुआ।
एनएच से ही शुरू हो जाती है समस्या - रायपुर से सिरपुर तक कहीं नेशनल हाइवे किनारे कोई बोर्ड नहीं। सिरपुर में कुछ जगह बोर्ड हैं भी तो वे भी इतने पुराने हैं कि पढ़ नहीं सकते।
- पर्यटन विभाग का एकमात्र मोटल व रेस्टोरेंट है, वह भी बदहाल है। दूर से देखने पर यह उजाड़ नजर आता है।
- पर्यटकों के ठहरने की न अन्य कोई व्यवस्था है और न ही पेयजल और शौचालय है।
- मोटल की हालत इतनी खराब है कि 19 में से 10 कमरे स्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं।
- मोटल में जमीन धंस गई है। दरवाजे टूटे हैं और फॉल सिलिंग गिर रही है।
- यहां पानी का इंतजाम भी गोठान से करना पड़ रहा है।
अब सालभर करना होगा इंतजार अब अस्थायी सूची में भी शामिल होने के लिए सालभर इंतजार करना होगा। इसके लिए भी
सरकार को वहां सुविधाएं विकसित करनी होगी। मास्टर प्लान बनाना होगा। वहीं विश्व धरोहर की सूची को लेकर पुरातत्ववेत्ता एलएस निगम का कहना है कि यहां ऐहितासिक धरोहरों से छेड़छाड़ हुई है। ऐसे में विश्व धरोहर में शामिल हो पाना मुश्किल है।
प्राधिकरण बना लेकिन किसी काम का नहीं सिरपुर को विश्व धरोहर में शामिल करवाने समेत पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से सिरपुर विकास प्राधिकरण 2015 में अस्तित्व में आया। हकीकत यह है कि इसके बायलॉज को स्वीकृति नहीं मिली है। सेटअप अधूरा है। फंड नहीं मिलता। अध्यक्ष और सीईओ का पद लंबे समय से खाली हैं। मास्टर प्लान तक नहीं बन पाया है। सरकार बजट में पैसे का प्रावधान तो करती है लेकिन मिलता नहीं।
2023-24 में मिला था 5 करोड़ का बजट विधानसभा के बजट सत्र में वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने जानकारी दी है कि सिरपुर विकास प्राधिकरण की 9 बैठकें हो चुकी हैं। इसमें 34 गांवों को शामिल किया गया है। वर्ष 2023-24 के लिए 5 करोड़ रुपए का बजट मिला था। हालांकि बायलॉज स्वीकृत हो जाने के बाद बजट के लिए प्राधिकरण को दूसरों का मुंह नहीं देखना पड़ता। 34 गांवों में जो भी रजिस्ट्री होती, उसका शुल्क साडा को मिलता। अभी लक्ष्मण मंदिर के टिकट का जो पैसा मिलता है, वह एएसआई को जाता है।
विश्व धरोहर से यह होता फायदा संस्कृति एवं पुरातत्व और पर्यटन संचालक विवेक आचार्य ने कहा विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने से सिरपुर को मेंटनेंस के लिए यूनाइटेड नेशंस (यूएन) से पैसा मिलता। उस पैसे से पहली प्राथमिकता रहती है लाइवलीहुड विकसित करने की यानी वहां के लोगों के लिए रोजगार विकसित करना। पर्यटन के विकास के लिए रास्ते खुल जाते। देश-विदेश के लोग वहां परीक्षण के लिए आते। उनके लिए सुविधाएं धीरे-धीरे विकसित होती जाती है।
अभी तो प्रस्ताव गया ही नहीं था सिरपुर का। पहले की बात कर रहे हैं तो 2011 में प्रस्ताव गया था। तीन कैटेगरी में अप्लाई होता है। पहला सांस्कृतिक, दूसरा प्राकृतिक और तीसरा सांस्कृतिक व प्राकृतिक दोनों। सांस्कृतिक में प्रस्ताव भेजने पर मिल जाता। यूनेस्को की टीम आई थी 2011-12 में तब कहा गया था कि सांस्कृतिक कैटेगरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं तो यहां जितना अतिक्रमण है, वो नहीं होना चाहिए। दूसरा कोई नया निर्माण नहीं होना चाहिए। इसलिए टीम ने उपयुक्त नहीं पाया था। टीम ने रिजेक्ट कर दिया था।
पर्यटन विभाग एमडी वेदव्रत सिरमौर ने कहा मोटल की स्थिति बहुत खराब है। मैं खुद गया था निरीक्षण के लिए। एजेंसी से सर्वे करवाकर सुधार की प्लानिंग है। वर्कआउट कर रहे हैं।