अदालत ने इस मामले में तत्कालीन राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, उनके भाई मनीष चौधरी और तत्कालीन जोधपुर IG एन गोगोई की भूमिका की दो माह के भीतर CBI से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
अदालत ने दिखाया सख्त रुख, दिया आदेश
बता दें, ACJM कोर्ट ने CBI की क्लोजर रिपोर्ट पर असहमति जताते हुए आदेश दिए कि 24 पुलिसकर्मियों पर हत्या, आपराधिक षड्यंत्र, दंगा और साक्ष्य मिटाने जैसी धाराओं में केस दर्ज हो। CBI को दो महीने के भीतर पूर्व मंत्री, IG, और अन्य अधिकारियों की भूमिका की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश भी दिया है। वहीं, कहा कि प्रकरण को नियमित फौजदारी केस के तौर पर दर्ज किया जाए। साथ ही परिवादी जशोदा को मुकदमे की पैरवी के निर्देश, अभियुक्तों को गिरफ्तारी वारंट के जरिए तलब करने का आदेश दिया है।
इन पुलिसकर्मियों पर लगी ये धाराएं
इन पुलिसकर्मियों पर IPC की धारा 302 (हत्या), 147 (दंगा), 148, 149, 120बी (षड्यंत्र) और 201 (साक्ष्य मिटाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। मुख्य नामों में शामिल हैं- कालूराम रावत (तत्कालीन SP पाली), आनंद शर्मा (SP बाड़मेर), रजत विश्नोई (CO सुमेरपुर), पुष्पेंद्र आढ़ा, प्रेमप्रकाश, पर्बत सिंह (DySP/थानाधिकारी) साथ ही 18 अन्य पुलिसकर्मी इस केस में नामजद हैं।
इन बड़े नामों पर चलेगा केस
CBI को कोर्ट ने विशेष तौर पर आदेश दिया है कि तत्कालीन राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, मंत्री के भाई मनीष चौधरी, तत्कालीन जोधपुर रेंज के आईजी एन गोगोई, पाली के तत्कालीन अतिरिक्त एसपी और 2021 में प्रकरण क्रमांक 30/2021 की जांच में शामिल अन्य अधिकारियों की भूमिका की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कर रिपोर्ट पेश की जाए। गौरतलब है कि CBI को अब दोहरी जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ना होगा। क्योंकि जिन पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज हुआ है, उनके खिलाफ साक्ष्य इकट्ठा कर अभियोजन की प्रक्रिया शुरू करने की जिम्मेदारी होगी, साथ ही अदालत द्वारा नामित वरिष्ठ अधिकारियों व नेताओं की भूमिका की गहन जांच कर दो महीने में रिपोर्ट पेश करना होगा।
क्या है एनकाउंटर मामला?
दरअसल, 22 अप्रैल 2021 को सदर थाना क्षेत्र के सेंट पॉल स्कूल के पीछे एक मकान में पुलिस कमलेश प्रजापत को पकड़ने गई थी। तब कमलेश ने एसयूवी गाड़ी का गेट तोड़ कर भागने की कोशिश की, इस दौरान पुलिस कमांडों ने गोली मार कर उनका एनकाउंटर कर दिया था। इसके बाद समाज के लोगों ने कई दिनो तक प्रदर्शन किया। जिसके चलते गहलोत सरकार ने 31 मई 2021 को जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इसके बाद 29 दिसंबर 2022 को सीबीआई में एफआईआर दर्ज हुई थी। जांच में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी।