बाड़मेर जिला अस्पताल हाल
बाड़मेर जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 3 हजार से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या भी अधिक है। जांच के बाद लगभग 10 प्रतिशत मरीजों को सोनोग्राफी के लिए भेजा जाता है, यानी प्रतिदिन करीब 350 मरीजों को। लेकिन रेडियोलॉजिस्ट की कमी के कारण अस्पताल में केवल 80-90 सोनोग्राफी ही हो पा रही हैं। बाकी मरीजों को वेटिंग में डाल दिया जाता है और उनका नंबर एक से डेढ़ माह बाद आता है।मशीनें 4 विशेषज्ञ 3, कैसे मिटेगा मरीजों का दर्द
पत्रिका की पड़ताल में सामने आया कि अस्पताल में चार सोनोग्राफी मशीनें हैं, लेकिन उन्हें संचालित करने के लिए पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं। सोनोग्राफी सेंटर नए भवन में संचालित हो रहा है, जहां प्रतिदिन 80 से 90 मरीजों की जांच होती है। सेंटर पर दो रेडियोलॉजिस्ट तैनात हैं, जो ड्यूटी समय से अधिक समय तक काम कर रहे हैं। एक अन्य रेडियोलॉजिस्ट केवल गायनिक जांच कर पा रहे हैं। इससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।राजस्थान में ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव हो सकते हैं निरस्त, कलक्टरों को जारी किए गए निर्देश, जानें क्यों
पंजीयन की सीमा 90 मरीज, वेटिंग वाले भी शामिल
सेंटर पर हर दिन 90 मरीजों का पंजीयन किया जाता है। इसमें 30 से 35 मरीज वेटिंग वाले होते हैं, ऐसे में रोजाना नए आने वाले करीब 50 मरीजों की ही जांच हो पा रही है। कर्मचारी बताते हैं कि वे कोशिश करते हैं कि अधिक से अधिक मरीजों की जांच हो, कई बार ड्यूटी खत्म होने के बाद भी जांच की जाती है।बांसवाड़ा-जयपुर रोडवेज बस पर छापा, कंडक्टर को देख अफसर चौंकें, पकड़ा बड़ा फर्जीवाड़ा
8 विशेषज्ञों की स्वीकृति, पदस्थापित महज तीन
मेडिकल कॉलेज में एक आचार्य, एक सह आचार्य, एक सहायक आचार्य व दो वरिष्ठ रेजिडेंट के पद स्वीकृत हैं, जिसमें महज एक ही पदस्थापित है। जबकि अस्पताल में एक वरिष्ठ विशेषज्ञ व दो कनिष्ठ विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं। जबकि यहां दो ही कार्यरत हैं , ऐसे में कुल 8 में से 5 पद रिक्त हैं।IMD Monsoon Prediction : राजस्थान के लिए अच्छी खबर, इस बार प्रदेश के इन जिलों में होगी झमाझम बारिश
रेडियोलॉजिस्ट की कमी है
अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की कमी है, इसलिए परेशानी हो रही है। हमारे पास तीन डॉक्टर हैं, इसमें एक तो गायनिक की कर पाते हैं। अस्पताल की ओपीडी तीन हजार पार है। हर दिन 300 से 350 मरीज सोनोग्राफी जांच के पहुंच रहे हैं। हमारा प्रयास रहता है कि गंभीर मरीज को परेशानी नहीं हो।डॉ. बीएल मंसूरिया, अधीक्षक, जिला अस्पताल