सिविल लाइंस को ही मिली प्राथमिकता
शहर के सिविल लाइंस इलाके, जहां विभागीय अधिकारी और प्रशासनिक अफसर रहते हैं, वहां की बिजली व्यवस्था को तो प्राथमिकता के आधार पर ठीक कर दिया गया, लेकिन बाकी शहर की हालत बेहाल रही। फीडर ठप पड़े रहे और मरम्मत कार्य को लेकर कोई स्पष्ट सूचना भी विभाग की ओर से नहीं दी गई।12 घंटे तक आधा शहर अंधेरे में
शनिवार को सुबह से दोपहर तक बिजली बहाल न होने के कारण लोगों को नहाने और पीने के पानी तक के लिए जूझना पड़ा। वाटर पंप ठप होने से कॉलोनियों और अपार्टमेंट्स में पानी का संकट गहरा गया। पॉश इलाकों जैसे प्रेमनगर, राजेंद्रनगर, स्वालेनगर, मॉडल टाउन और सुभाषनगर, सौ फुटा रोड, मुंशी नगर, पीलीभीत बाईपास की कॉलोनियों में भी ब्लैकआउट की स्थिति बनी रही।500 करोड़ का सवाल
बिजली विभाग ने हाल ही में 500 करोड़ रुपये की लागत से शहर में ट्रांसफॉर्मर और बिजली लाइनों की मरम्मत व आधुनिकीकरण का दावा किया था, लेकिन एक रात की बारिश ने ही इस पूरी कवायद की पोल खोल दी। आम जनता ने सवाल उठाए हैं कि इतना बड़ा बजट खर्च होने के बावजूद व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों है कि मामूली तूफान में भी शहर अंधेरे में डूब जाए?उपभोक्ताओं में गुस्सा
शहरवासियों का कहना है कि उन्हें नियमित बिल भरने के बावजूद बुनियादी सुविधा नहीं मिल रही। कॉल करने पर न तो अधिकारी जवाब देते हैं, न ही कोई हेल्पलाइन सक्रिय रहती है। लोगों का गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि विभाग केवल वीआईपी इलाकों की ही परवाह करता है।शनिवार दोपहर तक विभाग की ओर से बिजली बहाली को लेकर कोई ठोस टाइमलाइन जारी नहीं की गई थी। इससे लोगों की परेशानी और बढ़ गई है।