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बैंगलोर

रसेल वाइपर का ‘वेनम मैप’ बनाएगा उपचार में सक्षम

रसेल वाइपर किसी भी अन्य सांप प्रजाति की तुलना में अधिक लोगों को मारता है और अपंग बनाता है। सबसे उपयुक्त उपचार चुनना मुश्किल हो जाता है। लेकिन, अब इसके विष की विशेषताओं की भविष्यवाणी करने में मदद मिल सकती है।

बैंगलोरApr 16, 2025 / 07:12 pm

Nikhil Kumar

Russell Viper Snake
-विभिन्न क्षेत्रों में सांप के जहर के प्रभाव को समझना होगा आसान

-विष-विशिष्ट एंटीबॉडी जैसे लक्षित उपचार विकसित करने में उपयोगी

-भाविसं के शोधकर्ताओं का सफलता

बेंगलूरु.

भारत India में व्यापक रूप से पाए जाने वाला घातक सांप रसेल वाइपर Russell Viper यकीनन दुनिया में चिकित्सकीय रूप से सबसे महत्वपूर्ण सांप प्रजाति है। यह किसी भी अन्य सांप प्रजाति की तुलना में अधिक लोगों को मारता है और अपंग बनाता है। सबसे उपयुक्त उपचार चुनना मुश्किल हो जाता है। लेकिन, अब इसके विष की विशेषताओं की भविष्यवाणी करने में मदद मिल सकती है।
भारतीय विज्ञान संस्थान (भाविसं) के शोधकर्ताओं ने स्थानीय जलवायु परिस्थितियों का उपयोग करके रसेल वाइपर का ‘वेनम मैप’ Venom Map (विष मानचित्र) विकसित करने का दावा किया है। ये मानचित्र विभिन्न क्षेत्रों में सांप के काटने के नैदानिक लक्षणों की भविष्यवाणी करने और विष-विशिष्ट एंटीबॉडी जैसे लक्षित उपचार विकसित करने में उपयोगी साबित हो सकते हैं। इसके कारण चिकित्सक मरीजों के लिए सबसे उपयुक्त उपचार चुनने में सक्षम हो सकेंगे।
जैविक, अजैविक कारकों की भूमिका को समझना महत्वपूर्ण

भाविसं Indian Institute Of Science के सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंसेज के कार्तिक सुनगर ने बताया कि रसेल वाइपर के जहर की संरचना, गतिविधि और क्षमता को ठीक से समझना और उन्हें आकार देने में जैविक और अजैविक कारकों की भूमिका को समझना महत्वपूर्ण है। सांप के जहर का प्रभाव एंजाइमों की सांद्रता के कारण होता है, जो जलवायु और शिकार की उपलब्धता जैसे कारकों से प्रभावित होते हैं।
जलवायु परिस्थितियों की भूमिका

कार्तिक ने कहा, हमारी प्रयोगशाला में हाल ही में किए गए अध्ययनों ने जैविक कारकों, जैसे आहार में विकासात्मक बदलाव, का रसेल वाइपर के विष की संरचना और विषाक्तता पर प्रभाव पर प्रकाश डाला है। हालांकि, रसेल वाइपर के जहर snake poison में परिवर्तन लाने वाले कारक अज्ञात हैं। इसके बीच भाविंस व शोधकर्ताओं ने पहली बार रसेल वाइपर के विष के जैव रासायनिक कार्यों को संचालित करने में जलवायु परिस्थितियों, जैसे तापमान, आर्द्रता और वर्षा की भूमिका पर प्रकाश डाला है।
115 सांपों के विष का विश्लेषण

कार्तिक ने बताया कि अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने भारत भर में 34 स्थानों से एकत्रित किए गए 115 सांपों के विष के नमूनों का विश्लेषण किया। विष के विषाक्त पदार्थों की गतिविधि, जिसमें प्रोटीन, फॉस्फोलिपिड और अमीनो एसिड को तोडऩे वाले एंजाइम शामिल हैं, का परीक्षण किया। जहां सांप पकड़े गए थे, वहां से एकत्र किए गए जलवायु डेटा का उपयोग विष की संरचना और स्थानीय जलवायु के बीच संबंध को समझने के लिए किया गया। तापमान और वर्षा सांप के जहर की संरचना में क्षेत्र-दर-क्षेत्र भिन्नता के पीछे आंशिक कारक निकले।
शुष्क क्षेत्रों में प्रोटीएज गतिविधि अधिक

निष्कर्षों में विभिन्न तापमान और वर्षा मापदंडों का सामूहिक प्रभाव पता चल, जो आंशिक रूप से जहर की एंजाइमेटिक गतिविधियों में परिवर्तनशीलता को समझाते हैं। भारत के शुष्क क्षेत्रों में सांपों में प्रोटीएज गतिविधि अधिक पाई गई। इस डेटा का उपयोग करते हुए, टीम ने भारत में रसेल वाइपर के संभावित विष प्रकारों का एक मानचित्र बनाया।

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