वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सबसे पहले लोकसभा में अनवर मणिप्पडी रिपोर्ट की चर्चा की। बाद में भाजपा महासचिव व प्रदेश मामलों के प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने राज्यसभा में रिपोर्ट के कुछ अंश पढ़े और कई कांग्रेस नेताओं के नाम भी लिए जिनपर वक्फ भूमि के कथित दुरुपयोग के आरोप हैं। अनवर मणिप्पडी राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष हैं जिन्होंने वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग पर एक रिपोर्ट मार्च 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा को सौंपी थी। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने दावा किया था कि राज्य में ५४ हजार में से लगभग 27 हजार एकड़ वक्फ भूमि का या तो दुरुपयोग हुआ है या अवैध रूप से आवंटित किया गया है। मणिप्पडी ने 7 हजार पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी और दावा किया था कि अगर सीबीआइ जांच होती है तो इसमें हजारों पन्ने और जुड़ जाएंगे। मणिप्पडी की रिपोर्ट संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सामने भी रखी गई। संसद में रिपोर्ट का जिक्र होने के बाद मणिप्पडी ने जान से मारने की धमकी मिलने का भी दावा किया।
राज्य में कार्रवाई कर सकती है केंद्र सरकार!
संसद में कांग्रेस सदस्यों ने इस रिपोर्ट का उल्लेख होने पर कड़ा विरोध किया। सांसदों की ओर से सदन पटल पर रखे जाने के बाद यह रिपोर्ट अब केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। कानून बनने के बाद इसपर करीबी नजर रखने वाले और सरकार में शामिल सूत्रों का कहना है कि केंद्र इसपर कार्रवाई कर सकता है। केंद्र के पास कई विकल्प हैं। केंद्र राज्यपाल को पत्र लिखकर कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए भी कह सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि केंद्र सरकार इन अनियमितताओं पर कार्रवाई करेगी या नहीं, लेकिन मणिप्पडी का मानना है कि ऐसा किया जाएगा। इसमें शामिल लोगों को जवाबदेह बनाया जाएगा। उन्होंने 12 साल तक इस रिपोर्ट को इस उम्मीद के साथ जीवित रखा कि एक दिन यह काम आएगा। उन्होंने फिर दावा किया कि इसमें कई लोग फंसेंगे।
विवादों में रहा है राज्य का वक्फ बोर्ड
दरअसल, राज्य वक्फ बोर्ड पिछले साल एक गहरे विवाद में घिरा जब विजयपुर जिले में 1200 एकड़ किसानों की पुश्तैनी जमीन पर अपना दावा किया। किसानों को जमीन खाली करने के नोटिस जारी किए गए जिसके बाद जेपीसी के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने भी किसानों से भेंट की। जेपीसी ने राज्य के कई अन्य जिलों का भी दौरा किया था। कांग्रेस सरकार को इन नोटिस के कारण शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था और विपक्षी दल भाजपा ने एक बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया था।
बढ़ सकता है केंद्र-राज्य के बीच टकराव
पिछले साल दिसम्बर में सरकार ने विधानसभा में बहस के दौरान कहा था कि रिकॉर्ड के मुताबिक राज्य में 1.12 लाख एकड़ वक्फ भूमि है लेकिन बोर्ड के पास केवल 20 हजार 54 एकड़ बची है। इनाम उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम के तहत करीब 73 हजार एकड़ भूमि किसानों के पास चली गई। सिद्धरामय्या सरकार के लिए वक्फ भूमि हमेशा एक पेचीदा मामला रहा है। विधानमंडल के हालिया बजट सत्र के दौरान वक्फ विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें इसे संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन बताया गया। अब नया कानून बनने और वक्फ सुधारों को लागू किए जाने पर राज्य और केंद्र सरकार के बीच फिर एक बार टकराव बढ़ सकता है।