मैसूरु, बेंगलूरु और अन्य स्थानों से जुटे पर्यावरणविद्, किसान, स्थानीय निवासी, छात्र और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि और कार्यकर्ता गुडलूपेट से करीब 2.5 किलोमीटर दूर मद्दुर चेकपोस्ट तक आयोजित पैदल मार्च में शामिल हुए। जंगल के किनारे स्थित विभिन्न गांवों से आए स्थानीय किसानों और आम लोगों ने भी अभियान में शामिल हो रात्रि यातायात बैन हटाने के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। ज्यादातर यही लोग संघर्ष की स्थिति से जूझते हैं।
रैली को संबोधित करते हुए बंडीपुर के पूर्व निदेशक टी. बालचंदर ने कहा कि रात्रि यातायात प्रतिबंध Night Travel Ban से आम जनता को कोई परेशानी नहीं हुई है और इसने सडक़ दुर्घटनाओं के कारण जंगली जानवरों के संघर्ष और मृत्यु को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यदि प्रतिबंध में ढील दी गई या उसे हटा दिया गया, तो संघर्ष बढऩा तय है।उन्होंने कहा, सरकार पहले से ही बंडीपुर के आसपास संघर्ष के कारण फसल के नुकसान या लोगों की मौत के लिए मुआवजे और क्षतिपूर्ति के रूप में हर साल 40 करोड़ रुपए का भुगतान कर रही है। यदि रात्रि यातायात प्रतिबंध हटा दिया गया, तो यह बढऩा तय है। इसलिए, सरकार को किसी भी परिस्थिति में रात्रि यातायात प्रतिबंध नहीं हटाना चाहिए।
आयोजकों ने कहा कि यह पदयात्रा ‘विकास’ या ‘सार्वजनिक सुविधा’ के नाम पर पारिस्थितिक संतुलन और संरक्षण की अनिवार्यताओं से समझौता करने के खिलाफ एक एकीकृत मुहिम है, जो आगे भी जारी रहेगी।यूनाइटेड कंजर्वेशन मूवमेंट के प्रतिनिधियों ने वन संरक्षक और बंडीपुर टाइगर रिजर्व के निदेशक को संबोधित एक ज्ञापन में कहा कि मांगें पूरी नहीं होने की स्थिति में निकट भविष्य मेंं मैसूरु, बेंगलूरु और अन्य स्थानों पर इसी तरह की रैलियां निकाल प्रदर्शन करेंगे। इसके अलावा कानून निर्माताओं और निर्वाचित प्रतिनिधियों से संपर्क करके उनसे रात के यातायात प्रतिबंध को न हटाने का आग्रह करेंगे।
गंधदगुडी फाउंडेशन के सदस्यों ने भी बंडीपुर में रात्रि यातायात प्रतिबंध जारी रखने की मांग को लेकर मैसूरु अशोक चौराहे के पास प्रदर्शन किया। फाउंडेशन के सदस्यों ने तख्तियां लेकर अशोकपुरम में वन विभाग तक मार्च किया, जहां उन्होंने अपनी मांग के समर्थन में अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।
दरअसल, बंडीपुर जंगल से होकर गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 766 (212) कर्नाटक Karnataka को पड़ोसी राज्य केरल Kerala से जोड़ता है। बंडीपुर बाघ, हाथी, तेंदुआ, भालू, हिरण और अन्य कई जंगली जानवरों का घर है। बंडीपुर में वाहनों की आवाजाही के लिए 15 घंटे और जानवरों के लिए नौ घंटे का प्रावधान है। पर्यावरणविदों के अनुसार रात्रि यातायात प्रतिबंध हटने से वन्यजीवों के लिए खतरा पैदा होगा। अवैध शिकार के साथ-साथ मानव वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ेगा।