निकट अंतरिक्ष में अपनी सेवाएं पूरी कर चुके उपग्रहों और रॉकेटों के ऊपरी चरण एक मलबा बनकर वर्षों तक चक्कर काटते रहते हैं जो निरंतर और सुरक्षित अंतरिक्ष मिशन के लिए बड़ा खतरा हैं। इन मलबों से ऑपरेशनल उपग्रहों के टकराने और मिशन लांच करते समय भी खतरा बना रहता है। इसरो ने अपने कई उपग्रहों को जीवनकाल पूरा होने के बाद सुरक्षित धरती के वातावरण में प्रवेश कराकर नष्ट किया है। अब रॉकेट के ऊपरी चरण को भी काफी कम समय के भीतर अंतरिक्ष से हटाना शुरू कर दिया है।
अहम प्रयोगों के बाद शुरू हुई वापसी प्रक्रिया
पिछले 30 दिसम्बर 2024 को पीएसएसवी सी-60 से लांच किए गए स्पेडेक्स मिशन के चौथे चरण पीओईएम-4 के साथ कुल 24 पे-लोड भेजे गए थे। धरती की 475 किमी वाली कक्षा में स्पेडेक्स मिशन के प्रयोग हुए और अभी कई प्रयोग होने वाले भी हैं। वहीं पीओईएम-4 को 350 किमी वाली कक्षा में लाया गया था जहां लोबिया के बीजों का अंकुरण हुआ और पालक के पौधे उगाए गए। अंतरिक्ष में आंत के जीवाणुओं (गट बैक्टीरिया) और अंतरिक्ष मलबा पकडऩे वाले रोबोटिक आर्म के परिचालन समेत कई अहम प्रयोग हुए। तमाम प्रयोगों के बाद पीओईएम-4 में शेष बचे ईंधन को निकाल कर निष्क्रिय कर दिया गया ताकि आकस्मिक दुर्घटनावश टूटकर बिखरे नहीं। कक्षा में चक्कर लगा रहे पीओईएम-4 पर इसरो और अमरीकी स्पेस कमांड के राडार लगातार नजर रख रहे थे।
इसरो की एक और उपलब्धि
प्रयोग पूरे होने के बाद इसे नियंत्रित तरीके से धरती के वातावरण में पुन: वापस लाने की प्रक्रिया शुरू की गई। पहले उसकी कक्षा घटकर 174 किमी गुणा 165 किमी किया गया इसके बाद वह 4 अप्रेल को वातावरण में सुरक्षित प्रवेश किया और सुबह 8.33 बजे के लगभग हिंद महासागर में समा गया। इसरो ने कहा है कि पीओईएम-4 की सुरक्षित वापसी अंतरिक्ष मलबा शमन की दिशा में एक और उपलब्धि है।
पहले भी इसरो किया है ऐसा ही कमाल
इससे पहले इसरो ने पिछले साल इसरो ने दूसरी पीढ़ी के उपग्रह कार्टोसैट-2 को पुन: धरती की कक्षा में प्रवेश कराकर एक अंतरिक्षीय मलबे को नष्ट कर दिया। वर्ष 2023 में भी भारत-फ्रांस की संयुक्त साझेदारी में उष्णकटिबंधीय मौसम के अध्ययन के लिए भेजे गए मेघा ट्रॉपिक्स उपग्रह को 867 किमी की ऊंचाई से पुन: धरती के वातावरण में प्रवेश कराकर इसरो ने एक बड़ा मलबा कम कर दिया था। तब इसरो ने कहा था कि अगर उपग्रह को कक्षा में छोड़ दिया जाता तो वह 100 साल से अधिक समय तक धरती की कक्षा में चक्कर काटता रहता। एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया के जरिए 18 मैनुवर के बाद उपग्रह को सुरक्षित महासागर में गिराया गया। उपग्रह को 2011 में तीन साल की सेवाओं के लिए भेजा गया था।