गौरतलब है कि पिछले साल बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट में आगजनी की घटना के बाद एसएसपी अग्रवाल को जिले की कमान सौंपी गई थी। शांत, सरल पर गंभीर मिजाज के अग्रवाल ने अपने 11 महीने के संक्षिप्त कार्यकाल में एक ओर जहां जिले में पुलिस विभाग की छवि सुधारी, वहीं कानून व्यवस्था को लेकर खड़ी चुनौतियों से भी अच्छी तरह निपटा। इसी कार्यशैली के चलते अब उन्हें दुर्ग जिले की कमान सौंपी गई है।
10 जून 2024 का दिन काले दिन के रूप में याद रहेगा
10 जून 2024 का दिन जिले समेत पूरे प्रदेश को हमेशा एक काले दिन के रूप में याद रहेगा। इसी दिन उपद्रवियों ने बलौदा बाजार कलेक्ट्रेट बिल्डिंग में आग लगा दी थी। आगजनी में करोड़ों रुपए की संपत्ति, दुपहिया और चार पहिया वाहन के साथ कई विभागों के महत्वपूर्ण कागजात व सामान भी जलकर खाक हो गए थे। आगजनी के बाद शहरवासियों के मन में सुरक्षा और पुलिस व्यवस्था को लेकर प्रश्न चिन्ह थे। ऐसे समय में शासन ने विजय अग्रवाल को बलौदाबाजार एसएसपी बनाकर भेजा था। एसएसपी के तौर पर ज्वाइन करते ही अग्रवाल का कार्यकाल लगातार चुनौतियों से भरा रहा। सबसे पहले आगजनी केस में घटना के बाद से अब तक लगभग 290 लोगों की गिरफ्तारियां, भिलाई विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी जैसे हाई प्रोफाइल मामले में राजनीतिक उठा-पटक को मैनेज करना जहां चुनौती पूर्ण रहा।
एसएसपी विजय अग्रवाल के सामने रही ये चुनौतियां
वहीं जिले में बीते एक साल के दौरान लगातार बड़े अपराध भी हुए। इनमें बलौदाबाजार शहर का कुख्यात सेक्स स्कैंडल, कसडोल छरछेद ग्राम में जादू टोने के शक पर पूरे परिवार का सामूहिक हत्याकांड, काजल किन्नर की हत्या, जिले में बड़ी मात्रा में नकली नोट के रैकेट को पकड़ना, लगातार होने वाले सड़क दुर्घटनाओं और इनमें होने वाली मौत की संख्या को कम करना, जिले में गांजा समेत अन्य मादक पदार्थों की तस्करी के रैकेट को तोड़ना जैसी प्रमुख चुनौतियां रही। अग्रवाल के नेतृत्व में पुलिस विभाग में इन मामलों को बखूबी अंजाम तक पहुंचाया। पुलिस विभाग की 11 महीने की बड़ी उपलब्धियों में जिले में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराना भी है।
नई एसपी: इंटरनेशनल अवॉर्ड पाने वाली पहली आईपीएस हैं
भावना गुप्ता 2014 बैच की आईपीएस हैं। मूलत: पंजाब की रहने वाली है। इंजीनियरिंग के बाद यूपीएससी क्रैक कर फर्स्ट अटेप्ट में आईपीएस बनीं। पूर्व में पश्चिम बंगाल कैडर की आईपीएस थीं। मैरिज ग्राउंड पर कैडर चेंज करवाकर छत्तीसगढ़ कैडर में आई हैं। पुलिसिंग के क्षेत्र में दी जाने वाली प्रतिष्ठित इंटरनेशनल आईएसीपी अवार्ड पाने वाली प्रदेश की पहली महिला आईपीएस हैं। उनका जन्म 22 दिसंबर 1990 को पंजाब के भटिंडा में हुआ। पिता डॉ. पवन गुप्ता सर्जन और माता किरण गुप्ता गायकनोलॉजिस्ट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) हैं।
भावना अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। दसवीं तक की पढ़ाई सेंट जेवियर स्कूल भटिंडा में की। फिर 12वीं तक की पढ़ाई आरबीडीएवी पब्लिक स्कूल भटिंडा से की। मुंबई आईआईटी से मेटलर्जी ब्रांच में बीटेक की डिग्री ली। इसके बाद में लिपकार्ट कंपनी में बतौर एनालीसिस्ट भावना ने 3 महजीने काम किया था। उनका कैंपस सलेक्शन ऑयल कंपनी में भी हुआ था।
बैडमिंटन की नेशनल प्लेयर रह चुकीं भावना
बास्केटबॉल में भावना गुप्ता ने आईआईटी मुंबई की टीम का नेतृत्व किया था। वे बास्केटबॉल टीम की कप्तान थीं। लाल बहादुर शास्त्री पुलिस प्रशिक्षण अकादमी हैदराबाद में ट्रेनिंग के दौरान भावना गुप्ता नेशनल पुलिस अकादमी के बास्केटबॉल टीम की भी कप्तान रहीं। उन्होंने पुलिस खेलों में बैडमिंटन खेलकर कई राष्ट्रीय पदक जीते। 2014 बैच की बेस्ट ऑल राउंडर लेडी प्रोबेशनर भी भावना गुप्ता रहीं। भावना ने एकेडमी ट्रेनिंग के दौरान फाउंडेशन कोर्स में भी गोल्ड मैडल हासिल किया है। छत्तीसगढ़ कैडर में भावना गुप्ता सूरजपुर, अंबिकापुर और बेमेतरा जिले की पुलिस अधीक्षक रहीं। अभी गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की पुलिस अधीक्षक हैं, जहां से उन्हें बलौदाबाजार भेजा गया है।
महिला-युवतियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाकर जीता अवॉर्ड
आईपीएस भावना ने सूरजपुर, अंबिकापुर जिले में एसपी रहने के दौरान हमर लाड़ली-हमर मान चलाया था। इसी के लिए उन्हें इंटरनेशनल अवॉर्ड मिला। इस इनीशिएटिव प्रोग्राम के तहत आठवीं से 12वीं तक की छात्राओं और नारी निकेतन में रहने वाली महिला अपराधों से पीड़ित महिलाओं के लिए आवासीय ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जाता था। ट्रेनिंग में महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने के साथ उनमें आत्मविश्वास पैदा किया जाता था। ट्रेनिंग में युवतियों और महिलाओं के हुनर को निखारा भी गया। अलग-अलग आयु वर्ग के लिए अलग-अलग प्रोग्राम सेट कर ट्रेनिंग दी जाती थी। इस प्रोग्राम में 20 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया गया। खेलकूद में होनहार बालिकाओं के हुनर को निखारा गया। ट्रेनिंग के माध्यम से राज्य को कई ऐसी महिला खिलाड़ी मिली, जिन्होंने मलखंभ में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीते। महिला अपराधों से पीड़ित होकर आत्मविश्वास खो चुकी और समाज की मुख्यधारा से कट चुकी महिलाओं में आत्मविश्वास वापस लाने और उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए भावना ने हिम्मत वाला कार्यक्रम भी चलाया थ्रा।