ग्रामवासियों का कहना है कि गांव से लेकर आत्मानंद स्कूल तक की सड़क पहले कच्ची थी, जिससे विद्यार्थियों को आने-जाने में काफी परेशानी होती थी। कई सालों से यहां के लोग सड़क की पक्की सड़क की मांग कर रहे थे। आखिरकार डीएमएफ और महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत सड़क निर्माण के लिए 18.18 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई। 4 लाख रुपए का मिट्टी कार्य मनरेगा से कराया गया। जब निर्माण कार्य शुरू हुआ, तो ग्रामीणों को निर्माण की गुणवत्ता में गंभीर खामियां नजर आने लगीं।
ग्रामीणों का आरोप है कि रेश्यो के आधार पर मटेरियल का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। सीमेंट की मात्रा कम है। रेत-गिट्टी की गुणवत्ता भी खराब है। इसके अलावा ढलाई की प्रक्रिया में भी खुली मनमानी हो रही है। जिले में सीमेंट प्लांट होने के बावजूद बाहर से सीमेंट मंगाया जा रहा है। ये इस बात का संकेत है कि
भ्रष्टाचार खुलकर हो रहा है। इसके अलावा पानी डालने की प्रक्रिया ठीक से नहीं की जा रही, जिससे सीमेंट बहने लगता है। गिट्टी सड़क पर दिखाई देती है।
सरपंच, अफसरों ने साध रखी है चुप्पी
गांववालों ने आरोप लगाया कि सरपंच इस पूरे मामले में चुप हैं। कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। विभाग के अधिकारी भी इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रहे। ग्रामीणों ने जब इस बारे में जिला इंजीनियर आरआर महिलांगे से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इससे साफ है कि अफसर गंभीर लापरवाही बरत रहे हैं। गांववालों का कहना है कि अगर इस सड़क निर्माण की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए, तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी।
कलेक्टर बोले- गड़बड़ी हुई है तो कार्रवाई होगी
ग्रामीणों ने प्रशासन से इस निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह सड़क बच्चों की पढ़ाई और गांव के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, ऐसे में यहां कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। इस मामले पर जब कलेक्टर दीपक सोनी से प्रतिक्रिया ली गई, तो उन्होंने कहा कि अगर निर्माण कार्य में लापरवाही बरती गई है तो इसकी जांच कराई जाएगी। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।