यह शोभायात्रा पुराने श्रीराम मंदिर से निकाली गई, जो हनुमान मंदिर पहुंची। यहां पुजारी पुरोहित और पंडितों ने ने प्रभु श्रीराम का तिलक वंदन किया गया। शोभायात्रा काली पुतली चौक पहुंची। यहां जिला कांग्रेस कमेटी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में महिलाओं और कांग्रेसियों ने शोभयात्रा का स्वागत कर पुष्प वर्षा की। शोभायात्रा मेन रोड होते हुए राजघाट चौक, महावीर चौक, सराफा होते हुए हनुमान चौक पहुंची। यहां प्रति वर्ष की तरह भव्य आतिशबाजी का आयोजन किया गया। हजारों की संख्या में मौजूद लोगों ने आतिशबाजी का लुत्फ उठाया। यहां से यह शोभायात्रा सर्किट हाउस रोड होते हुए लिबर्टी टेलर गली से वापस पुराने श्रीराम मंदिर पहुंचकर समाप्त हुई।
पालकी पर निकले रामलाल
इस बार आयोजन को और भव्य व धार्मिक बनाने पहली बार पुराने श्रीराम मंदिर से रामलाल की पालकी निकाली गई। पालकी में भगवान श्रीराम, माता सीता की दिव्य प्रतिमा को नगर भ्रमण कराया गया। पालकी शोभायात्रा जहां-जहां से गुजरी शहरवासी दर्शन के लिए लालायित नजर आए। सभी ने उनके चरण पखारे और पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया।
झांकियां रही आकर्षण का केंद्र
शोभायात्रा में प्रभु श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण की झांकी के अलावा केरल से बुलाए गए कलाकारों ने कुचीपुरी वेषभूषा में अपनी कला का शानदान प्रदर्शन किया। भगवान हनुमान, वानर सेना के अलावा तांडव नृत्य करते शिवजी, जीवंत बब्बर शेर की जीवंत झांकियां शामिल रही, जो कि मुख्य आकर्षण का केन्द्र रही। पूरी शोभायात्रा के दौरान रामभक्त युवा श्रीराम धुनों पर नाचते थिरकते नजर आए। इन शोभायात्रा में जनप्रतिनिधि, अधिकारी के अलावा विहिप व बजरंग दल के कार्यकर्ता और श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में शामिल होकर रामधुनों पर खूब नृत्य किया।
धर्ममय हुआ शहर
शोभायात्रा में पुराने श्रीराम मंदिर से निकलने के दौरान से शहर के गणमान्यजन प्रमुख रूप से शामिल रहे, जो पूरी शोभायात्रा के दौरान पद्यात्रा करते दिखाई दिए। शोभायात्रा के दौरान जय श्रीराम का उद्घोष गूंजते रहा, पूरा शहर श्रीराम के नारों से गुंजायमान रहा। करीब 50 हजार की संख्या में भगवा ध्वज लेकर जनसैलाब शामिल रहा। शोभायात्रा को देखने शहर के सभी प्रमुख चौराहों में लोगों की भारी भीड़ देखी गई। शोभा यात्रा के मद्देनजर शहर के विभिन्न स्थानों में समाजसेवी भक्तजनों ने ठंडे पेय पदार्थ एवं स्वल्पाहार आदि की व्यवस्था रखी थी। पुलिस व्यवस्था भी मुस्तैद रही।