बढ़ रहे है मामले, सुधारने को नहीं आया कोई आगे
जमीनों के ऑनलाइन सरकारी रेकार्ड में जमीन मालिकों के नाम बदलने के मामले बढ़ने लगे हैं। जिमेदारों की गलती से यह गड़बड़ियां हो रही हैं, लेकिन उन्हें सुधरवाने के लिए जमीन मालिक ऑफिसों के चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं। जिले में ऐसे दो-तीन नहीं, बल्कि बड़ी संया में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। जहां सरकारी रेकॉर्ड में जहां बड़ी संया में किसानों की जमीन गायब हो गई तो किसी का रकबा घट गया, तो वहीं कई जमीनों के तो मालिकों के नाम ही बदल गए। पिछले एक साल में जिले में ऐसी दर्जनों शिकायतें आ चुकी हैं, लेकिन अब तक सुधार नहीं हुए। इस ऑनलाइन रेकार्ड में ऐसी व्यवस्था शासन ने की है कि जमीनों के खसरों में अधिकारियों के लॉग-इन आइडी से ही कोई बदलाव हो सकते हैं। जिले में बड़ी संख्या में यह गड़बड़ियां चल रही हैं और अधिकारी-कर्मचारी इसे एनआईसी सॉटवेयर से वेब जीआइएस सॉटवेयर में डाटा ट्रांसफर करने के समय की गलती बताकर जिमेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। जबकि हकीकत में यदि सॉटवेयर बदले जाने का कारण होता तो रेकॉर्ड एनआइसी सॉटवेयर की तरह होता। लेकिन न तो इनमें कोई सुधार हो रहे हैं और न हीं इन गड़बडिय़ों पर लापरवाही करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई की जाती है। इससे लोग भटकने मजबूर हैं।
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24 घंटे में और भी ज्यादा बढ़ेगा तापमान, मध्य और उत्तर भारत के इन क्षेत्रों में हीटवेव का खतरा केस-1 : दो खसरा रिपोर्ट निकाली, दूसरी में हिस्सा गायब
अशोकनगर तहसील के रातीखेड़ा निवासी हीरा पुत्र फैली साह गांव में संयुक्त खाते की भूमि सर्वे नंबर 606 रकबा 1.296 हेक्टेयर जमीन हैं। वर्ष 2024-25 के खसरा में चंपालाल पुत्र लालजीराम, कमलाबाई, सुशीलाबाई, लीलाबाई पुत्रियां लालजीराम हिस्से, चंपालाल पुत्र लालजीराम, हीरा पुत्र फैली, अशोककुमार पुत्र अमरलाल पाल के नाम है। हीरा साहू को इस जमीन के दो खसरा की जरूरत थी, 11 जून 2024 को इस जमीन की दो ऑनलाइन खसरा रिपोर्ट निकलवाई, पहली रिपोर्ट में तो नाम व हिस्सा सही दर्ज थे, लेकिन एक मिनट बाद ही उसी जमीन का दूसरी बार खसरा निकाला तो रेकॉर्ड में हीरा साहू का हिस्सा गायब था। तब से वह सुधार के लिए ऑफिसों के चक्कर काट रहा है।
केस-2 : रेकॉर्ड से जमीन ही गायब, आदेश के बाद भी नहीं सुधार
मुंगावली तहसील के ढुड़ैर निवासी दिमानसिंह यादव की गांव में भूमि सर्वे क्रमांक 333 रकबा 0.073 हेक्टेयर भूमि, सर्वे नंबर 502/2/1 रकबा 0.209 हेक्टेयर जमीन अचानक ऑनलाइन रेकॉर्ड से गायब हो गई। जबकि यह जमीन 5 सितंबर 2014 से मध्यांचल ग्रामीण बैंक में बंधक है। आवेदन किया तो जांच में पाया गया कि रेकॉर्ड से उनकी जमीन गायब हो गई, एसडीएम व अपर कलेक्टर ने सुधार का आदेश दिया, लेकिन अब तक रेकॉर्ड में यह जमीन वापस दर्ज नहीं हो पाई है और इससे वह ऑफिसों के चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं। जिनका कहना है कि अगस्त 2024 में आदेश हो जाने के बाद भी खसरा रेकॉर्ड में यह जमीन अब तक दर्ज नहीं हुई। केस-3 : रेकॉर्ड में नाम बदला तो की अपील, पता चला भूमि शासकीय
लालपुर निवासी नौनीतराम कुशवाह ने अशोकनगर एसडीएम के यहां आवेदन कर शिकायत कहा कि गांव में स्थित उसकी भूमि सर्वे क्रमांक 102/2 रकबा 1.045 हैक्टेयर पर उसका नाम गायब हो गया। 14 जून 2023 को नायब तहसीलदार ने जांच प्रतिवेदन दिया कि वर्तमान में इस जमीन पर कप्तानसिंह पुत्र मोहनसिंह का नाम दर्ज है और हस्तलिखित खसरा वर्ष 2008-09 में यह जमीन शासकीय दर्ज है। तो वहीं कप्तानसिंह इस संबंध जमीन के संबंध में कोई प्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाया। तो जनवरी 2025 में जमीन को शासकीय दर्ज करने का आदेश हो गया, इससे नौनीतराम कुशवाह अब ऑफिसों के चक्कर काट रहा है।