scriptMoney Laundering: बीपीएल दोस्त को नौकरी दिलाने के नाम पर मुंबई में खोली कंपनी, 15.50 करोड़ का नोटिस पहुंचा तो उड़े होश | Job Scam From Unemployed BPL Youth, Make Company And Imposed Fine Of 15.55 Crore Under Money Laundering Case | Patrika News
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Money Laundering: बीपीएल दोस्त को नौकरी दिलाने के नाम पर मुंबई में खोली कंपनी, 15.50 करोड़ का नोटिस पहुंचा तो उड़े होश

दो शातिर युवकों ने बेरोजगार बीपीएल दोस्त को मनी लांड्रिंग के केस में उलझा दिया। शिकार हुए केकड़ी के युवक को अब सीमा शुल्क आयुक्त कार्यालय से 15.50 करोड़ रुपए जुर्माना आदेश जारी कर दिया गया है।

अजमेरApr 19, 2025 / 05:05 pm

Santosh Trivedi

Money Laundering Case
ज्ञानप्रकाश दाधीच

Money Laundering Case: केकड़ी (अजमेर)। शहर के दो शातिर युवकों ने बेरोजगार बीपीएल दोस्त को नौकरी दिलाने के नाम पर उसके पहचान संबंधी दस्तावेज लेकर उसे मनी लांड्रिंग के केस में उलझा दिया। राजस्व खुफिया निदेशालय की जांच में सामने आया कि यह कीमती स्टोन (नीलम) के कारोबार के नाम पर आयात भुगतान के रूप में 109.70 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है।
इसकी जानकारी मिलने पर विभाग ने कार्रवाई आरंभ की। वहीं इस षड्यंत्र का शिकार हुए केकड़ी के बीपीएल युवक को अब सीमा शुल्क आयुक्त कार्यालय से 15.50 करोड़ रुपए जुर्माना आदेश जारी कर दिया गया है। सीमा शुल्क अधिनियम के तहत दर्ज मामले में कार्रवाई की जा रही है। यह आदेश हाल ही उसके पते पर पहुंचा है।
प्रकरण में धोखाधड़ी का शिकार हुए पुरानी केकड़ी क्षेत्र निवासी बीपीएल श्रेणी के युवक महावीर आछेरा ने केकड़ी सिटी थाने में रिपोर्ट दी तो जांच के बाद उसमें एफआर लगा दी गई, हालांकि न्यायालय के आदेश पर केस को रि-ओपन कर दिया गया है।

महावीर को बनाया फर्म का डायरेक्टर

Money Laundering Case
इसमें महावीर ने बताया है कि पुरानी केकड़ी निवासी उसके मित्र पियूष विजयवर्गीय व सत्यनारायण विजयवर्गीय ने नौकरी दिलाने के नाम पर उसके आधार कार्ड और पैनकार्ड की प्रति लेकर मुम्बई में कंपनी खोल करोड़ों का कारोबार किया और उसे अवैध रूप से धन शोधन के मामले में फंसा दिया। महावीर मुंबई से संचालित इस फर्म का डायरेक्टर है, जबकि वह कभी मुंबई गया ही नहीं।

बड़े सिंडिकेट का माध्यम बनी फर्जी फर्में

महावीर के दस्तावेजों से यह फर्जी फर्में बनी उसका मकसद आयात का अधिक चालान बनाना और इस तरह आयात भुगतान की आड़ में देश से अवैध धन भेजने की सुविधा प्रदान करना था। दरअसल मनी लॉन्ड्रिंग का पूरा खेल बड़े सिंडिकेट द्वारा संचालित हो रहा है।
जो इस तरह की फर्म को माध्यम बनाता है, ताकि ब्लैक मनी को व्हाइट किया जा सके। इस मामले में दोनों फर्म द्वारा जानबूझकर गलत घोषणाओं और नकली चालान के साथ बिल ऑफ एंट्री दाखिल की गई। सस्ती चीजों की बिलिंग ज्यादा कीमत पर करके काले धन को सफेद में परिवर्तित किया जाता है। इसके नाम पर फर्में मोटा कमीशन वसूल करती हैं।

109.70 करोड़ : 11 और 6 बिल ऑफ एंट्री के

महावीर के दस्तावेजों से बनी फर्जी कंपनियों में कीमती पत्थरों के कारोबार को दर्शाया गया, जबकि कारोबार मामूली कीमत वाले पत्थरों का रहा। जांच में पाया गया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनी कंपनी विहेते जेम्स प्राइवेट लिमिटेड और झोआ वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 11 बिल आफ एंट्री में 70 करोड़ 99 लाख 84 हजार 223 और 6 बिल आफ एंट्री में 38 करोड़ 70 लाख 440 रुपए का गलत घोषित मूल्य है।

किराए के मकान में रहता है महावीर

mahaveer
महावीर बीपीएल श्रेणी में आता है। वह किसी प्राइवेट कंपनी में सामान्य तनख्वाह पर नौकरी कर रहा है। वह किराए के घर में रह रहा है। वह इस चिंता में है कि इतनी बड़ी राशि का जुर्माना उस पर लगा दिया गया और उसका कोई तर्क स्वीकार नहीं हुआ तो यह भविष्य में उसके लिए बड़ी चिंता का कारण बन सकता है। उसका परिवार भी इस स्थिति को लेकर चिंतित है।

इनका कहना है…

केस जब री-ओपन होता है तो न्यायालय के विभिन्न डायरेक्शन होते हैं। उस आधार पर जांच करनी होती है। मामले को दिखाया जा रहा है।

  • कुसुमलता मीणा, थाना प्रभारी, केकड़ी सिटी

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