अदालत में मोटर व्हीकल एक्ट का एक प्रकरण सरकार बनाम रशीद करीब एक वर्ष से पूर्व विचाराधीन है। मामले में जब्ती व चालान करने की कार्रवाई एसआई भवानी सिंह ने की थी। प्रकरण में गवाह के रूप में भवानी सिंह को सम्मन भेजे गए लेकिन वह प्रशासनिक कार्य में व्यस्त रहने के कारण अदालत में उपिस्थत नहीं हुआ और अदालती आदेश की अवहेलना करता रहा। बाद में उसकी पदस्थापना अजमेर रेंज में होने की जानकारी मिली इसके बाद पुलिस लाइन के संचित निरीक्षक के जरिए करवाने के लिए भेजा गया। थानाधिकारी सिविल लाईन व अन्य पुलिसकर्मी भी उपरोक्त गवाह भवानी सिंह के विभाग मेंउप निरीक्षक के पद पर कार्यरत होने के कारण तामीली कराने में असमर्थ रहे। इससे पहले 21 अक्टूबर 2024 को अभियोजन पक्ष की ओर से हाजरी माफी लगाई गई। गत 3 मार्च 2025 को वह गवाही देने फिर अदालत में नहीं आया व उसकी अनुपिस्थति का कोई समुचित कारण भी नहीं बताया गया।
अदालत ने वारंट की पालना नहीं करने को गंभीर माना न्यायिक अधिकारी चंदेल ने आदेश में लिखा कि उपनिरीक्षक भवानी सिंह को अदालत की सूचना प्राप्त होने के बावजूद भी खुलेआम पुलिसकर्मी होने के कारण अपने पद का दुरूप्योग कर न्यायालय के आदेश व गिरफ्तारी वारन्ट आदि परिपत्रों की पालना ना करते हुए खुलेआम घोर लापरवाही कर अवहेलना की। जिससे न्यायिक कार्यवाही व प्रकरण के निस्तारण में विलम्ब हुआ हैं।
साक्ष्य बंद की व जुर्माना लगाया, उच्च अधिकारियों को शिकायत अदालत ने भवानी सिंह की साक्ष्य बंद की जाकर उसके विरूद्ध न्यायिक आदेश की अवमानना के लिए उसे अपराध अन्तर्गत धारा 389 बी.एन. एस.एस 2023 के तहत अपराध का दोषी मानते हुए 500 रुपए जुर्माने से दण्डित करने के आदेश दिए। जुर्माना अदा नहीं करने पर एक माह के साधारण कारावास भुगतने के आदेश दिए। दोषी पुलिस कर्मी के उक्त आचरण के लिये उसके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही हेतु उच्च अधिकारियों को कार्यवाही कर अवगत करवाने के निर्देश भी दिए।
उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाना जरुरी अदालत ने फैसले में हाईकोर्ट के नियमों का भी हवाला दिया कि ऐसी त्रुटि करने वाले पुलिस कर्मी के खिलाफ समुचि त स्तर पर ही कार्रवाई की जा सके ताकि आमजन का न्याय के प्रति विश्वास सुदृढ हो। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इसलि ए यह तथ्य आला अफसरों के संज्ञान में लाना जरुरी है।