प्रकरण के तथ्य दरगाह थाना पुलिस ने आर्म्स एक्ट की धारा 3/ 30 के तहत एक प्रकरण वर्ष 2018 में दर्ज किया। इसमेंमोहम्मद युसुफ सिद्दीकी को आरोपी बनाया। करीब छह साल प्रकरण की सुनवाई के बाद अदालत ने मंगलवार को आरोपी को बरी कर दिया। अदालत ने अंतिम रूप से यह प्रमाणित पाया कि मुकदमा मोहम्मद युसुफ के खिलाफ युक्तियुक्त व सद्भाविक कारण के बिना उसका उत्पीडन व उसे क्षति कारित करने के लिए दायर किया गया। दरगाह थाने के तत्कालीन थानाधिकारी के समक्ष कानाराम ने विधिक एवं संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए चालान पेश किया व आरोपी को गिरफ्तार करने में भी नियमों की अनदेखी की। इस कारण उसे लगभग 6 सालों तक अन्वीक्षा भुगतनी पड़ी।
एएसआई उपिस्थत नहीं होने से प्रतिकर दिलाया मंगलवार को फैसला सुनाए जाने वाले दिन एएसआई उपिस्थत नहीं थे। इस कारण समन जारी कर 3 अप्रेल को सुबह 10 बजे व्यक्तिशः न्यायालय में उपस्थित होकर कारण स्पष्ट करने के आदेश दिए। इसमें चूक होने पर एएसआई की गैर हाजिरी मान कर अग्रिम आदेश जारी करने की भी चेतावनी दी गई है।
———————-बॉक्स बचाव पक्ष के वकील एहतेशाम चिश्ती ने बताया कि वर्ष 2018 में शहर काजी याहया सिद्दीकी पुत्र मोहम्मद युसूफ सिद्दीकी ने उनके वालिद को मिली लाईसेंस बंदूक अपने नाम विधिवत करा ली लेकिन बाद में इसका रख रखाव नहीं कर पाने के कारण थाने में जमा कराने की पेशकश 18 अक्टूबर 2018 को की। इसके बाद से ही कानाराम उसे परेशान करने लगा। बाद में मुकदमा दर्ज करा दिया। चिश्ती ने बताया कि बचाव पक्ष की ओर से इस आशय के दस्तावेज भी उन्होंने अदालत में पेश किए।