क्या है पूरा मामला ?
जननी सुरक्षा योजना के तहत एक महिला को प्रसव पूर्व 1400 रूपए मिलते हैं। साथ ही उसे सरकारी अस्पताल लाने वाली आशा कार्यकर्ता को 600 रूपए। वहीं, नसबंदी पर महिला को 2000 रूपए और आशा को 300 रूपए दिए जाते हैं। यह राशि 48 घंटे के भीतर खातों में ट्रांसफर कर दी जाती है। इन्हीं नियमों का फायदा उठाकर अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक ही नाम और पहचान वाली महिला के फर्जी डाटा से हर बार पेमेंट क्लेम कर लिया। ऑडिट टीम को कैसे लगी भनक?
जब फतेहाबाद सीएचसी का डेटा खंगाला गया, तो एक ही महिला के नाम पर बार-बार भुगतान की प्रविष्टियां देखकर टीम चौंक गई। जांच में पाया गया कि महिला का न तो 25 बार प्रसव संभव है, न 5 बार नसबंदी। इसके बाद विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने माना है कि यह गंभीर स्तर का फर्जीवाड़ा है और इसमें शामिल कर्मियों पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।