पाकिस्तान में चीनी सेना तैनात करने का प्लान
हाल ही में बलूचों ने चीनियों की एक बस को उड़ा दिया था,तब और 90 सैनिकों की मौत हो गई थी ,अब उसके बाद चीन ने अपने सुरक्षाकर्मियों को पाक में तैनात किया है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की माजिद ब्रिगेड ने पाकिस्तान की जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का अपहरण कर 214 पाकिस्तानी सैनिकों को मार दिया था। चीन का कहना है कि उसने थार कोयला ब्लॉक के अंदर अपने प्रोजेक्ट की सुरक्षा के लिए गार्ड तैनात किए है। चीन की तीन निजी सुरक्षा एजेंसियों देवे सिक्यॉरिटी फ्रंटियर सर्विस ग्रुप, चीन ओवरसीज ग्रुप और हुआशिन झोंगशान सिक्यॉरिटी सर्विस को यह जिम्मेदारी दी गई है। जानकारी के मुताबिक सिन्ध प्रांत में चीन के 60 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
पाकिस्तान में 30 हजार चीनी नागरिक काम कर रहे
पाकिस्तान में 30 हजार चीनी नागरिक काम कर रहे हैं। इन नागरिकों की सुरक्षा का पहला घेरा अब चीनी सुरक्षाकर्मियों के पास होगा। इसके माध्यम से यह तय किया जाएगा कि चीनी नागरिकों का बाहर के लोगों से कम से कम संपर्क हो सके। चीन ने पहले पाकिस्तान से कहा था कि कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए पीएलए की एक यूनिट तैनात करने की अनुमति दे दे। पाकिस्तान ने जगहॅंसाई और अपनी बेइज्जती समझते हुए यह प्रस्ताव खारिज कर दिया तो चीन ने निजी सुरक्षाकर्मी होने के नाम पर अपने सैनिक भेजे हैं। गौरतलब है कि बलूचों और टीटीपी के हमलों में अब तक चीन के कई इंजीनियरो की मौत हो चुकी है।
बलूच अलगाववादी आंदोलन और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के हमले
चीन की ओर से पाकिस्तान में सेना भेजने के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं जो वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। यह कदम पाकिस्तान में सुरक्षा स्थिति और विभिन्न आंतरिक मुद्दों के संदर्भ में लिया गया है, जिनमें बलूच अलगाववादी आंदोलन और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के हमले शामिल हैं।
चीन का सैन्य सहयोग
चीन पाकिस्तान के साथ अपने आर्थिक, सुरक्षा और कूटनीतिक संबंध बढ़ाने में लगा हुआ है। चीन की “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव” (BRI) के तहत पाकिस्तान में कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं, मसलन ग्वादर पोर्ट का विकास, जो चीन के लिए एक रणनीतिक संपत्ति है। चीन ने अपनी परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान में सेना भेजने की आवश्यकता महसूस की है। चीन की सैना की तैनाती का मकसद बलूचिस्तान और जनजातीय क्षेत्रों में बलूच अलगाववादियों और टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई करना हो सकता है।
बलूच अलगाववादी आंदोलन
बलूचिस्तान में बलूच अलगाववादियों का आंदोलन हमेशा पाकिस्तान के लिए एक गंभीर सुरक्षा चुनौती रहा है। यह समूह बलूचिस्तान की स्वायत्तता का समर्थन करता है और अक्सर सैन्य ठिकानों और सरकारी दफ्तरों पर हमले करता है। चीन के प्रोजेक्ट्स के कारण बलूचिस्तान में अलगाववादियों की गतिविधियाँ बढ़ गई हैं, क्योंकि उन्हें यह डर है कि चीन पाकिस्तान के माध्यम से इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP)
टीटीपी एक और महत्वपूर्ण समूह है जो पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। यह समूह पाकिस्तान में आतंकवादी हमले करता है और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए है। टीटीपी की मौजूदगी और इसकी गतिविधियाँ पाकिस्तान के लिए एक बड़ा चुनौती बन चुकी हैं, खासकर जब चीन पाकिस्तान में अपने हितों को बढ़ा रहा है।
चीन की सेना टीटीपी की गतिविधियों के लिए एक नई चुनौती
चीन की सैन्य मौजूदगी टीटीपी की गतिविधियों के लिए एक नई चुनौती पेश कर सकती है, क्योंकि पाकिस्तान की सुरक्षा बल इस समूह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं और चीन की सैन्य मदद से इन कार्रवाइयों को और तेज किया जा सकता है। चीन की सैन्य उपस्थिति से वैश्विक स्तर पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आ सकती हैं। अमेरिका और भारत जैसे देश पहले ही चीन के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। चीन की सैन्य उपस्थिति पाकिस्तान में वैश्विक राजनीति में नए बदलाव ला सकती है, और इससे क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन में भी परिवर्तन हो सकता है।
पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना दिया
बहरहाल चीन का पाकिस्तान में सेना भेजना एक जटिल मुद्दा है जो विभिन्न आंतरिक और अंतरराष्ट्रीय कारकों के प्रभाव में है। बलूच अलगाववादियों और टीटीपी जैसे समूहों की मौजूदगी ने पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना दिया है, और चीन ने अपने हितों की सुरक्षा के लिए इस स्थिति में हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया है। यह स्थिति पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति, चीन के वैश्विक उद्देश्यों और क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन पर गहरे प्रभाव डाल सकती है।