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उदयपुर

धरोहर से समृद्ध उदयपुर को मिले यूनेस्को हेरिटेज सिटी का तमगा

उदयपुर के लिए किए प्रयास पर्यटन विकास को देंगे बढ़ावा

उदयपुरApr 19, 2025 / 01:21 am

अभिषेक श्रीवास्तव

सहस्त्रबाहु मंदिर

उदयपुर. झीलों का शहर विरासत और धरोहर के मामले में हमेशा समृद्ध रहा है। यहां की 4000 साल पुरानी आयड़ नदी, जहां आहाड़ सभ्यता ने जन्म लिया, वो किसी अमूल्य संपदा से कम नहीं। ऐतिहासिक सहस्त्रबाहु मंदिर, जगत अंबिका मंदिर, एकलिंगजी मंदिर धार्मिक विरासत है, तो गणगौर, गवरी की सांस्कृतिक विरासत यहां की पहचान है। उदयपुर की कोफ्तगिरी कला को जीआई टैग मिला हुआ है। ऐसे में धरोहरों से समृद्ध उदयपुर की धरती को ही यूनेस्को शहर का दर्जा मिलना चाहिए।
अभी तक राजस्थान के केवल जयपुर को ही यूनेस्को हेरिटेज सिटी का दर्जा मिला हुआ है। 5 फरवरी 2020 को जयपुर विश्व धरोहर शहर घोषित किया गया था। जयपुर दुनिया का एकमात्र ऐसा शहर है, जहां 300 साल से विरासत को संजोया जा रहा है। परकोटे की दीवार और जंतर-मंतर जैसी इमारतें, जयपुर को विश्व धरोहर शहर की सूची में शामिल करवाने का कारण रहीं।

हमारे यहां विरासतें कई

किसी भी हेरिटेज साइट या शहर का दर्जा देने के लिए पहले यूनेस्को की टीम सर्वे करती है। मापदंडों के अनुसार वो स्थल या शहर खरा उतरता है या नहीं इस बात की जांच की जाती है। यों तो उदयपुर में विरासतों की कमी नहीं है। हालांकि पूर्व में पर्यटन विभाग भी हेरिटेज शहर के दर्जे को लेकर पत्राचार कर चुका है।

गणगौर और गवरी हों कल्चरल हेरिटेज में

– साल 2021 में बंगाल की दुर्गा पूजा को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में यूनेस्को सूची में शामिल किया है। फिर गुजराती गरबा को भी स्थान मिला। मेवाड़ का गणगौर उत्सव भी समृद्ध परंपरा दर्शाता है। इसके प्रचार-प्रसार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने महोत्सव का आयोजन शुरू किया।
– आदिवासी लोक संस्कृति का परिचायक गवरी नाट्य राखी के अगले दिन से शुरू हो जाता है। वनवासियों के सवा मासी लोक नाट्य अनुष्ठान गवरी में पौराणिक घटनाओं के साथ मौजूदा पुलिस प्रशासन, समाज की व्यवस्थाओं का मंचन कर वनवासी कलाकार 40 दिन तक दर्शकों का मनोरंजन करते हैं।

यूनेस्को मान्यता के योग्य धरोहर

जगदीश मंदिर

एकलिंगजी मंदिर

श्रीनाथजी मंदिर

सहस्त्रबाहु मंदिर

जगत अंबिका मंदिर

तीन हजार साल पुरानी जावर खदानें

गणगौर महोत्सव

गवरी नृत्य

आज विश्व हेरिटेज दिवस

तमाम देशों का इतिहास, उनकी संस्कृति और कला के सबूत को जीवित रखने वाले इन स्थलों को विरासत या धरोहर कहा जाता है और इनके संरक्षण व प्रचार-प्रसार के लिए विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। हर साल विश्व धरोहर दिवस 18 अप्रेल को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत विश्व स्मारक दिवस के तौर पर हुई थी। हालांकि बाद में यूनेस्को ने इसको विश्व धरोहर दिवस के रूप में बदल दिया। इस साल के दिवस की थीम “आपदाओं और संघर्षों से खतरे में विरासत: आइकोमोस की 60 वर्षों की कार्रवाइयों से तैयारी और सीख” है।

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