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Eid Celebration: रियासतकाल में टोंक की ईद देशभर में रखती थी अलग पहचान, सवारी पर नवाब के आते ही दागते थे तोपें

Eid Celebration In Tonk: ईद की सवारी के लिए नवाब की सभी तैयारियों एवं सवारी के रवाने होने का ऐलान तोपें दाग कर किया जाता था।

टोंकMar 30, 2025 / 02:43 pm

Alfiya Khan

eid
Eid 2025: टाेंक। राजपूताना की एक मात्र मुस्लिम रियासत रहे टोंक में ईद की सवारी की पूरे देशभर में अपनी अलग ही पहचान थी। इस सवारी को देखने के लिए शहर के बाहर से भी लोग आते थे। ईद की सवारी के लिए नवाब की सभी तैयारियों एवं सवारी के रवाने होने का ऐलान तोपें दाग कर किया जाता था।
जब नवाब साहब उठा करते थे तो एक गोला दागा जाता था और जब नहाने जाते थे तो किले से तोपें दागी जाती थी। इससे पूरे शहर को पता चल जाता था कि नवाब साहब नहाने लगे हैं। जब वह तैयार होकर ईद की सवारी पर सवार होते तो तोपें दागी जाती थी। इससे उनकी रवानगी की सूचना सभी निवासियों को हो जाया करती थी।

स्वागत के लिए होते थे तैयार

लोग इन तोपों की आवाज सुनकर स्वागत एवं ईदगाह में नमाज अदा करने के लिए अपने-अपने घरों से रवाना हो जाया करते थे। सवारी में हाथी को सजाया जाता था जिस पर नवाब साहब की सवारी जाती थी। ईद की सवारी किले मौअल्ला से शुरू होकर ईदगाह बहीर पहुंचती थी।
सवारी में पहले ऊंटों पर रियासत का निशान हुआ करता था। भारी लवाजमे के साथ निकलने वाली ईद की सवारी में ऊंट सवार, घुड़सवार, हाथी, घोड़े, पालकी सहित सैनिकों की अलग-अलग टुकडियां, खानदान के लोग अपने-अपने वेशभूषा में होते थे।तोपें सहित कई अस्त्र-शस्त्र की झांकियां आदि भी निकाली जाती थी।

ईद की नमाज समाप्त होते ही दागते थे तोपे

लोग सवारी को देखने एवं ईदगाह ईद की नमाज से पूर्व पहुंचने लगते थे। उसके बाद ईदगाह में ईद की नमाज समाप्त होते ही तोपे दागी जाती थी। जिससे लोगों को नमाज समाप्त होने का संकेत मिल जाया करता था। नवाब का जुलूस वापस आहिस्ता आहिस्ता किलए मोअल्ला पहुंचता था। जहां दरबार लगता था। तीन दिन तक धूम रहती थी।

हिंदू और मुसलमान दोनों ही होते थे एकत्रित

नवाब ईद पर खेलों का आयोजन भी करते थे। इसमें तीर-तलवार, द्वंद्व, मल्ल, कबड्डी, कुश्ती, क्रिकेट आदि प्रमुख खेल शाामिल होते थे। रियासतकाल में ईद पर अवाम के लिए कई कल्याणकारी घोषणाएं होती थी, वहीं कई कैदियों को रिहा भी किया जाता था। अच्छे काम करने वाले आलिमों अफसरों को इनामों इकराम से भी नवाजा जाता था।
टोंक की जश्न ईद, नामक किताब में सैयद मंजूरुल हसन बरकाती साहब ने 1946 की ईद का आंखों देखा हाल लिखा। जिसमें उन्होंने यहां कि ईद की सवारी के जुलूस आदि की मंजर निगारी की है। उन्होंने 1946 में पंडित रामनिवास को विशेष खिताब से नवाजे जाने सहित कई हस्तियों के इज्जतों इकराम का हवाला भी दिया है। आंखों देखे हाल के मुताबिक 7 कैदियों की रिहाई एवं लुहारों द्वारा उनकी बेड़ियां काटे जाने का भी जिक्र किया।

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