नितिन पुरोहित का कहना था कि सन 2964 के रिकार्ड के अनुसार महेंद्र सागर तालाब का कुल रकवा 104 हैक्टेयर का है, लेकिन बीच में इसके खसरा नंबर में बटांकन अंकित करते हुए यह जमीन निजी लोगों के नाम की गई थी। इसके बाद से बेच दिया गया था। ऐसे में लगातार तालाब का रकवा कम होता गया। वहीं हाईकोर्ट के निर्देशन पर की गई जांच में यहां पर 31 लोगों का अतिक्रमण पाया गया था और तालाब की 7.17 हैक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण पाया गया था। नितिन का कहना है कि प्रशासन द्वारा अतिक्रमण न हटाने एवं बेची गई जमीन के मामले में कार्रवाई न करने पर उनके द्वारा फिर से न्यायालय में आवेदन दिया गया था।
विदित हो कि महेंद्र सागर तालाब के बीच में सबसे बड़ा अतिक्रमण नगर पालिका द्वारा किया जा रहा है। नगर पालिका द्वारा यहां पर 1.500 हैक्टेयर जमीन पर पार्क निर्माण किया जा रहा है। सर्वे में यह कब्जा सामने आने के बाद एसडीएम ने भी नगर पालिका को नोटिस जारी किया था, लेकिन इस नोटिस के बाद भी यहां पर काम जारी है। ऐसे में लोग प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे है।
15 दिसंबर को किए गए सर्वे में तालाब की जमीन पर जयंती-पुष्पा कुशवाहा, विपिन-संजीव त्रिपाठ, सरमन लाल पुरोहित, नितिन पुरोहित, विद्यादेवी रैकवार, रामस्वरूप रैकवार, रामदास कुशवाहा, रामदास-कल्ल-घंसू-मुन्ना-हल्ले कुशवाहा, कमला शर्मा, मुन्ना विश्वकर्मा, रतीराम कुशवाहा, लखनलाल पाण्डेय, विजय तिवारी, बृजेश पाठक, भागवती कुशवाहा, कन्छेदी कुशवाहा, नगर पालिका, विद्यादेवी रैकवार, चंद्रकांत रैकवार, सूर्यकांत रैकवार, बालेंद्र रैकवार, नागेंद्र रैकवार, रमेश बाबू रैकवार, मनेश लल्लू रैकवार, हरप्रसाद रैकवार कब्जा पाया गया था।