यह है कारण
चिकित्सकों के अनुसार यह बीमारी मुख्य रूप से वायरस, बैक्टीरिया या फंगस के संक्रमण के कारण होती है, जो दिमाग और रीढ़ की हड्डी को घेरने वाली झिल्लियों (मेनिन्जेस) में सूजन पैदा कर देते हैं। वहीं सेरेब्रल वेन थ्रोम्बोसिस में दिमाग की नसों में खून का थक्का बन जाता है। इससे दिमाग में खून की आपूर्ति रुक जाती है और स्ट्रोक या अन्य गंभीर जटिलताएं होने लगती है। गर्मी में जलजनित और वायुजनित संक्रमण तेजी से फैलते हैं, जिससे ये रोग अधिक सक्रिय हो जाते है।
दिमाग की नसों में सूजन
इंफ्लूएंजा,पैरा इंफ्लूएंजा और इंटेरोवायरस लोगों को संक्रामक रोग की चपेट में ले रहा है। इस तरह के फीवर में मरीज पूरी तरह बदहवास रहता है। वायरल फीवर पांच से छह दिन में उतर जाता है। इससे अधिक समय तक बुखार रह गया तो इसका असर दिमाग की कोशिकाओं पर पड़ सकता है। ऐसे में बिना सलाह दवा न लें। बैक्टीरियल और इंसेफेलाइटिस दो तरह के बुखार होते हैं। बैक्टीरियल में दिमाग की कोशिकाओं के आसपास पानी की परत जमा हो जाती है जिससे दिमाग में सूजन आ जाती है। वहीं इंसेफेलाइटिस फीवर मच्छरों के काटने से होता है जिसे सेरीब्रल मलेरिया कहा जाता है। इंटेरोवायरस से सबसे अधिक आंत और पेट संबंधी बीमारी होती है।
दिनचर्या में करें बदलाव
ओपीडी में दिमागी बुखार और सेरेब्रल वेन थ्रोम्बोसिस के मरीज आने लगे हैं। लक्षण नजर आने पर मरीज के खून की जरूरी जांच व ब्रेन एमआरआई करवाएं। एंटीबॉयोटिक लेने के साथ बॉडी को हाइड्रेट करें। खानपान और दैनिक दिनचर्या का खयाल रखा जाए तो इन बीमारी से बचा जा सकता है।
डॉ. श्रीनेहा, न्यूरोलॉजिस्ट, कल्याण अस्पताल