माता का ऐसा भक्त कहीं देखा है? शरीर पर उगाया जवारा, अन्न और जल भी त्याग दिया
Unique Devotion : 9 दिन तक देवी प्रतिमा के सामने लेटकर मुन्नालाल कोरी ने बिताए। इस दौरान खाना-पीना तो छोड़ा ही, करवट भी नहीं बदली। रामनवमी पर धूमधाम से जवारा विसर्जन करने निकला परिवार।
Unique Devotion : चैत्र नवरात्रि में भक्त श्रद्धाभाव से मां अंबे की पूजा-अर्चना करते हैं। इन 9 दिनों में भक्त माता को प्रसन्न करन के लिए कई जतन करते हैं। ऐसा ही एक अनोखा भक्त मध्य प्रदेश के सीधी में भी मिले, जिनकी साधना और मां अम्बे के प्रति भक्ति भाव देखकर हर कोई चकित है। शहर के मड़रिया इलाके में रहने वाले 45 वर्षीय मुन्नालाल कोरी ने अपने पूरे शरीर पर जवारा उगाकर पूरे 9 दिन देवी मां की आराधना की। हैरानी की बात तो ये है कि, इस दौरान उन्होंने अन्न का एक भी दाना ग्रहण नहीं किया। न ही पानी की एक बूंद पी। यही नहीं, इन 9 दिनों के दौरान उन्होंने करवट तक नहीं बदली। नवरात्र के 9 दिन पूरे होने के बाद उन्होंने परिवार के साथ जवारा विसर्जन किया।
मुन्नालाल कोरी परिजन ने बताया कि, वो हर साल शरीर पर जवारा बोते हैं और पूरे 9 दिन देवी मां की आराधना करते हैं। इस साल उन्होंने अपने बड़े भाई हीरालाल से अपने शरीर पर जवारा बोने की इच्छा प्रकट की तो बड़े भाई ने सहमति दे दी। पत्नी श्यामवती कोरी ने सवाल किया कि, क्या 9 दिन वो बिना करवट बदले रह सकेंगे। इसपर उन्होंने बड़ी सरलता से जवाब दिया कि, अगर देवी मां की इच्छा रही तो जरूर रह लेंगे। पति के मुख से ऐसा जवाब सुनकर पत्नी ने भी सहमति दे दी।
पत्नी श्यामवती कोरी के अनुसार, उनकी कोई संतान नहीं है। देवी आराधना कई वर्षों से धूमधाम से करते आ रहे हैं। नवरात्र पर विशेष रूप से आराधना करते हैं। इस साल पति की इच्छा थी कि, शरीर पर जवारा उगाकर देवी आराधना करें, इसलिए परिवार के किसी सदस्य ने नहीं रोका। इस तप के लिए उनके बड़े और छोटे भाई ने उनका पूरा साथ दिया। देवी मां की कृपा से ये तप पूरा हुआ और वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
दो दिन पहले शुरू कर दिया था व्रत
पत्नी श्यामवती ने बताया कि, यह तप करने के लिए पति ने दो दिन पहले से ही व्रत शुरू कर दिया था, ताकि शौच क्रिया आदि के लिए न जाना पड़े। इसके बाद घर के अंदर एक कमरे में उन्होंने देवी मां की छाया चित्र के सामने लेटकर अपने पेट के हिस्से में मिट्टी डलवाकर जवारा बुवा लिया। पत्नी भी देवी आराधना मैं जुटी रहीं और जवारे में पानी देती रहीं। दो-तीन दिन में जवारा उग गया, जिसपर मुन्नालाल कोरी, उनकी पत्नी समेत पूरे परिवार के चेहरे खिल उठे।
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