10 रुपये वाला पेन 95 रुपये में खरीदा
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जांच में सामने आया कि जिन वस्तुओं की सामान्य कीमत बहुत कम थी, उन्हें कई गुना अधिक दर पर खरीदा गया। उदाहरण के तौर पर, 10 रुपये वाला पेन 95 रुपये में खरीदा गया। इस एक मद में ही करीब साढ़े तीन लाख रुपये खर्च कर दिए गए। इसी तरह से राइटिंग पैड और फोल्डर पर भी लगभग इतनी ही रकम खर्च की गई। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह रही कि एक साधारण चार्ट पेपर 116 रुपये प्रति पीस की दर से खरीदा गया जिस पर कुल मिलाकर सवा चार लाख रुपये से अधिक खर्च किए गए। स्टेशनरी के अन्य सामान जैसे पेंसिल, रबर और शार्पनर की खरीद में 19 लाख रुपये का बजट इस्तेमाल हुआ। चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित
इस घोटाले का खुलासा जिला पंचायत अध्यक्ष द्वारा निरीक्षण के दौरान हुआ, जिसके बाद डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह के निर्देश पर चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया। इस टीम ने गहन जांच के बाद आरोपों की पुष्टि की और बताया कि इन सभी खरीद प्रक्रियाओं में जिला स्वास्थ्य समिति से कोई स्वीकृति नहीं ली गई थी।
किन-किन लोगों ने किया घोटाला
डीएम ने इस पूरे मामले में गंभीर रुख अपनाते हुए पूर्व सीएमओ डॉ. आर.के. गौतम समेत पूर्व एसीएमओ डॉ. गोविंद स्वर्णकार, डॉ. मनोज मिश्रा, स्टोर प्रभारी पवन गुप्ता, प्रधान सहायक संजय सिंह, लेखा प्रबंधक चंद्र प्रकाश पांडे और जिला प्रशासनिक अधिकारी रामकिशोर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है। साथ ही, पूर्व सीएमओ के तीन साल के कार्यकाल में हुई सभी खरीद की दोबारा जांच कराने और सेवा निवृत्ति नियमों के अंतर्गत कार्रवाई करने का भी प्रस्ताव रखा गया है। 100 करोड़ रुपये के लगभग है घोटाले की राशि
डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने स्वास्थ्य विभाग में हुए एक बड़े वित्तीय घोटाले की आशंका जताई है, जिसकी अनुमानित राशि 100 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। डीएम ने बताया कि बिना जरूरत टेंडर निकाले गए और फर्जी बिल बनाकर सामग्री खरीदी गई। जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। डीएम ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रमुख सचिव गृह को पत्र भेजा गया है जिसमें निलंबन और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई है।