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Mahashivratri 2025: यहां 500 साल पहले हुई थी शिवलिंग की स्थापना, चमत्कारी है वेवर महादेव मंदिर, 7 दिन तक चलता है महाशिवरात्रि का उत्सव

Rajasthan Best Shiva Temple: कालांतर में वेवर माताजी के चमत्कार से प्रभावित होकर समय के साथ धर्मस्थल का नाम वेवर महादेव के नाम से प्रचलित हो गया। पूर्व में 9 में से पांच यज्ञ धूनी विलुप्त हो गईं, जबकि वर्तमान में चार यज्ञ धूनी अभी भी मंदिर परिसर में स्थापित हैं।

राजसमंदFeb 25, 2025 / 09:34 am

Akshita Deora

Vevar Mahadev Temple Amet: हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी के तहत नगर की जीवनदायिनी नदी चंद्रभागा के तट पर विराजित भगवान वेवर महादेव मंदिर में भी 7 दिवसीय महाशिवरात्रि का उत्सव मनाया जा रहा है। प्रथम दिवस भगवान शिव के विवाह कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कलश (घट) व खड़ग (तलवार) की स्थापना की गई। दूसरे दिन महिलाओं द्वारा भगवान की हल्दी की रस्म निभाकर मंगल गीत गाए गए और भगवान के शिवलिंग पर हल्दी का लेप लगाकर श्रृंगार किया गया। तीसरे दिन, सोमवार को भांग का भोग चढ़ाया गया। उसी भांग से शिवलिंग का श्रृंगार किया गया।
यह धार्मिक कार्यक्रम आजादी से पूर्व राजा-महाराजाओं के समय से होते आ रहे हैं। देश की आजादी के बाद बनी आमेट पंचायत, पंचायत समिति और बाद में नगरपालिका द्वारा भी महाशिवरात्रि पर शोभायात्रा निकाली जाती रही है। पूर्व में पालिका और शिवभक्तों द्वारा अपने स्तर पर एक ट्रैक्टर-ट्रॉली में भगवान भोलेनाथ की छवि लगाकर बलदेव व्यायाम शाला के तत्कालीन संस्थापक बलदेव सिंह चौहान के सानिध्य में पहलवानों द्वारा करतब दिखाकर लोगों का मनोरंजन करते हुए शोभायात्रा निकाली जाती थी।
Vevar Mahadev
वहीं, महाशिवरात्रि के दूसरे दिन चंद्रभागा नदी तट के मैदान में मेला लगता आ रहा है। समय के साथ नगर के समाजसेवी, भामाशाह भरत बागवान, जो 1996 से मंदिर मंडल समिति के अध्यक्ष भी हैं, इस शोभायात्रा की जिम्मेदारी जनसहयोग के साथ लेते हुए इस महाशिवरात्रि के पर्व को भव्य रूप से मनाने का फैसला लिया।
1996 में पहली बार श्री वेवर महादेव मंदिर मंडल समिति के नाम से एक संस्था के सानिध्य में महाशिवरात्रि के दिन भव्य शोभायात्रा निकाली गई। पहली बार इस शोभायात्रा में शाही लवाजमा, गैर नृत्य, भिनमाल ढ़ोल, कच्ची घोड़ी, अघोरी ग्रुप, शहनाई वादक, परंपरागत थाली मादल, मेवाड़ी ढोल, हाथी, घोड़े, ऊंट गाड़ी, शाही बग्गी के रथ, 20 अलग-अलग भगवान की झांकियां, करतब दिखाने वाले व्यायामशाला के पहलवान और अनेक प्रकार के मनोरंजन के संसाधन जुटाए गए।
इस शोभायात्रा में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी और यह शोभायात्रा पूरे जिले में एक मिसाल बन गई। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। इसी मंदिर समिति द्वारा इस मंदिर का फिर से जीर्णोद्धार करवाया गया तथा मंदिर पर भव्य द्वार, दोनों तरफ हाथी, मंदिर द्वार के ऊपर कबूतर जैसे अन्य निर्माण कार्य बड़ी बखूबी और सुंदर तरीके से किए गए। तब से यह स्थान एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हुआ।
Vevar Mahadev
सन 2018 में नगरपालिका में भाजपा के बोर्ड द्वारा पालिका बजट में इस शोभायात्रा को भव्य रूप से मनाने हेतु पालिका बोर्ड ने लगभग 10 लाख रुपये तक के बजट को मंजूरी देते हुए शोभायात्रा और मेले को भव्य रूप से मनाने के लिए पारित करवाया। तभी से नगरपालिका और मंदिर मंडल समिति के सामूहिक सहयोग से यह धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

मंदिर स्थापना का इतिहास

नगर के चंद्रभागा नदी तट पर विराजित भगवान वेवर महादेव का प्राचीन मंदिर वर्षों पुराना है। यह साधु-संतों की तपोभूमि है। मंदिर मंडल समिति के वर्तमान अध्यक्ष, समाजसेवी एवं भामाशाह भरत बागवान ने बताया कि जैसा इतिहास में दर्ज है कि करीब 500 वर्ष पूर्व तत्कालीन महाराणा भीम सिंह मेवाड़ द्वारा भगवान वेवर महादेव के शिवलिंग की स्थापना करवाई गई। स्थापना के साथ ही यहां पर साधु-संतों के सिद्धि योग करने हेतु 9 यज्ञ धूनी की भी स्थापना करवाई गई। प्राचीन काल में यह धार्मिक स्थल भीमाशंकर महादेव के नाम से जाना जाता था। महाराणा द्वारा धर्मस्थल में ही माताजी व भैरूजी बावजी के मंदिर की स्थापना करवाई गई। वहीं, यज्ञ धूनी के सामने हनुमान जी का मंदिर भी स्थापित किया गया।
कालांतर में वेवर माताजी के चमत्कार से प्रभावित होकर समय के साथ धर्मस्थल का नाम वेवर महादेव के नाम से प्रचलित हो गया। पूर्व में 9 में से पांच यज्ञ धूनी विलुप्त हो गईं, जबकि वर्तमान में चार यज्ञ धूनी अभी भी मंदिर परिसर में स्थापित हैं, जहां पर साधु-संतों व नगरवासियों द्वारा यज्ञ-हवन किया जाता है। श्रावण मास व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में नगर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन एवं पूजा-पाठ करने आते हैं।
Vevar Mahadev
वर्तमान में टांक परिवार के सदस्यों द्वारा भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जा रही है। लक्ष्मण सिंह टांक वर्तमान में पुजारी हैं। महाशिवरात्रि पर प्रतिवर्ष भगवान भोलेनाथ की विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है, जो पूरे मेवाड़ में प्रसिद्ध है। महाशिवरात्रि के दूसरे दिन एक दिवसीय मेले का आयोजन वेवर महादेव समिति व नगरपालिका के तत्वावधान में किया जाता है। कई वर्षों से नगरवासियों व ग्रामीण क्षेत्रों की ओर से कावड़ यात्रा भी श्रावण महीने में निकाली जाती है।
मंदिर परिसर में ही भैरूजी बावजी मंदिर से निकलने वाली गुफा 10 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में स्थित हीम माता मंदिर के पीछे निकलती है। इस शिवालय के चमत्कारों के चलते प्रतिदिन लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर यज्ञ-हवन, प्रसादी, अभिषेक कर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वेवर महादेव सेवा समिति द्वारा पूरे वर्षभर भगवान के अभिषेक, यज्ञ, हवन, प्रसादी आदि धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पुजारियों व विद्वान पंडितों द्वारा भगवान भोलेनाथ का अभिषेक एवं विशेष श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान भगवान भोलेनाथ के दर्शनार्थ लोगों का तांता लगा रहता है।

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