म्यूजिक इंडस्ट्री में पैर जमाकर रखना हो तो क्लासिकल सीख कर ही आएं.. सिंगर सुरेश वाडकर से पत्रिका की एक्सक्लूसिव बात
Singer Suresh Wadkar in CG: जाने-माने प्लेबैक सिंगर सुरेश वाडकर ने राजिम कुंभ कल्प में प्रस्तुति से पहले पत्रिका से एक्सक्लूसिव बात की। उन्होंने कहा कि म्यूजिक इंडस्ट्री में पैर जमाकर रखना हो तो क्लासिकल सीख कर ही आएं.
Singer Suresh Wadkar in CG: ताबीर हुसैन. रियलिटी शो वाले दुनियाभर से टैलेंट ढूंढकर लाते हैं और पेश करते हैं। हमारे जमाने में ऐसे माध्यम नहीं थे लेकिन जो भी मिला वह हमारा भाग्य था। टैलेंट शो के जरिए इक्का-दुक्का टैलेंट ही ऊपर तक पहुंचता है, बाकी का पता नहीं चलता। वहां से निकलने के बाद संगीत की शिक्षा लेनी चाहिए। चैनल्स का सबसे बड़ा ड्रॉबैक यह है कि वे उन्हें अपने कॉन्टैक्ट में बांध लेते हैं और जितना रगडऩा होता है रगड़ लेते हैं। उसके बाद किसी का भाग्य है कि वह आगे चलता जाता है, वर्ना वे गुम हो जाते हैं। यह कहा बॉलीवुड सिंगर सुरेश वाडकर (Singer Suresh Wadkar) ने।
Singer Suresh Wadkar in CG: पत्रिका से की एक्सक्लूसिव बात
वे राजिम कुंभ कल्प में प्रस्तुति देने आए थे। इससे पहले उन्होंने वीआईपी रोड स्थित होटल में पत्रिका से एक्सक्लूसिव बात की। उन्होंने कहा, नई पीढ़ी से यही कहूंगा कि खूब मेहनत करें। गाना बाकायदा सीखें। गाना सीखे बिना और क्लासिकल सीखे बिना आप लंबे समय तक नहीं टिक सकते। अपने पैर जमाकर रखना हो तो क्लासिकल सीख कर ही आना चाहिए।
आप ट्रेंड सिंगर हैं और किशोर कुमार नेचुरल सिंगर। दोनों से साथ गाया भी। उनके लिए क्या कहेंगे?
किशोर दा नेचुरल सिंगर थे। मैं भी अलग आवाज के साथ इंडस्ट्री में आया। मेरी किस्मत है मैं उनके साथ गाया। वे मुझे बच्चों की तरह प्यार करते थे। उनके समय में उनके साथ गाने का मौका मिलना मेरा सौभाग्य रहा। वे कहा करते थे कि मैंने कोई गाना सीखा नहीं है लेकिन उनकी गायकी से लगता नहीं था कि वे वाकई नहीं सीखे थे। अच्छा-खासा चलता हुआ उनका गला था। सुरीले तो इतने पक्के थे कि ऐसा कोई दूसरा हो ही नहीं सकता। गायकी के लिए जो फुलनेस रिक्वायरमेंट थी, वो सब उनमें थी। उस जनरेशन के लोगों ने 50-50 साल काम किया है। यह ध्यान में रखने वाली बात है और यह दुनिया जब तक कायम रहेगी यह बातें लोगों के जहन में रहेगी।
राजकपूर साहब की जन्मशती मनाई गई, उनकी कोई याद साझा करेंगे?
मैं बड़ा भाग्यशाली हूं जो उनके साथ काम करने का मौका मिला। उनसे मुझे बहुत प्यार मिला है। मुकेशजी के बाद मैं ही हूं जिसने निरंतर तीन फिल्मों में गाने गाए। बहुत आनंद आया कि इतने गुणी व्यक्तित्व के साथ मैंने काम किया। उनके पिता ने सभी बच्चों को संगीत सिखाया था। यही वजह है कि उनका म्यूजिक भी सबसे अलग होता था। हमेशा मुझे बोलते थे कि मैं जब तक हूं मेरी फिल्मों के मेल सिंगर तुम और फीमेल सिंगर लताजी होंगी। इस तरह का भाग्य कहां से मिल सकता है। गाने बनते थे तब वे खुद हाजिर रहते थे। कभी तबले वाले को आने में लेट हो जाए तो खुद डग्गा लेकर बैठ जाते और हम लोगों के साथ बजाया करते थे।
क्या वजह रही कि रहमान के साथ आपने दोबरा काम नहीं किया?
ऐसी कोई वजह नहीं है। रहमान साहब को मेरा गाना अच्छा नहीं लगा होगा। मैंने उनके दो-तीन गाने ही गाए हैं। उसके बाद मुझे नहीं बुलाया। कोई बात नहीं।
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