अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा
निगम के अधिकारियों ने टेंडर की प्रक्रिया और मेंटेनेंस राशि को लेकर बड़ी लापरवाही दिखाई है। जब प्रदेश के अन्य 10 नगर निगमों में जल एटीएम चालू हैं और वहां ठेकेदार को मेंटेनेंस का पैसा मिल रहा है तो रायपुर में क्यों ठेकेदार का भुगतान रोका गया? वाटर एटीएम के पूर्व ठेकेदार धर्मेन्द्र शाह का कहना है कि इन एटीएम में आरओ प्रणाली लगाना जरूरी था, क्योंकि राजधानी के बोर से निकलने वाले पानी का टीडीएस बहुत ज्यादा है। यही कारण है कि ये एटीएम सिर्फ यूवी वाटर से काम नहीं कर सकते थे। हालांकि, उन्होंने अधिकारियों को जानकारी दी थी, लेकिन अधिकारियों ने उनके आवेदन पर ध्यान नहीं दिया।सर्वे के बाद एटीएम की चाबी सौंपी
ठेकेदार ने भुगतान नहीं मिलने पर वाटर एटीएम की चाबी निगम को सौंप दी। इसके बाद निगम ने तीन महीने के लिए एक अन्य ठेकेदार को एटीएम चलाने का जिम्मा सौंपा और उसे 8 लाख रुपए का भुगतान किया। लेकिन इस भुगतान के बाद भी एटीएम फिर से बंद हो गए। अब हालात ये हैं कि कई एटीएम गायब होने की भी चर्चा हो रही है।20 लाख 50 हजार का भुगतान भी नहीं
राज्य सरकार द्वारा वाटर एटीएम के मेंटेनेंस के लिए 20 लाख 50 हजार रुपए जारी किए गए थे, लेकिन ठेकेदार को यह राशि नहीं दी गई। इस भुगतान को रोकने के बाद ठेकेदार ने अपना काम बंद कर दिया और एटीएम की चाबी निगम के हवाले कर दी।अब फिर से सर्वे कराया जा रहा
6 साल के लिए टेंडर किया गया था, लेकिन ठेकेदार ने 6 साल के लिए रेट नहीं डाला था, बल्कि प्रतिवर्ष के लिए रेट डाला था। ठेकेदार ने बीच में टेंडर छोड़ दिया था, जिसके बाद तीन माह के लिए एटीएम चालू किया गया था। अब फिर से सर्वे कराया जा रहा है, ताकि स्थिति का आंकलन किया जा सके।- कृष्णादेवी खटीक, प्रभारी अधिकारी, नगर निगम जल विभाग