CG News: छत्तीसगढ़ में कैंसर की स्थिति
मुंह व गले के कैंसर होने के प्रमुख कारणों में
तंबाकू, तंबाकूयुक्त चीजों का सेवन और गुड़ाखू है। प्रदेश के कई हिस्सों में बचपन तंबाकू खाने व गुड़ाखू करने में गुजर रहा है। लंबे समय इसके सेवन से ही मुंह व गले का कैंसर हो रहा है। दरअसल, हाल में इंटरनेशनल जर्नल लैंसेट की एक रिपोर्ट में कैंसर से मौत के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर आ गया है। पहले नंबर पर चीन है।
जब भारत दूसरे नंबर पर है तो पत्रिका ने विशेषज्ञों से बातचीत कर छत्तीसगढ़ में कैंसर की स्थिति व उनके कारणों को जानने का प्रयास किया। इसमें कई बातें चौंकाने वाली आई हैं। ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (एचपीवी) भी मुंह के कैंसर के लिए जिम्मेदार है।
तंबाकू का सेवन करने वाले हो जाएं अलर्ट
हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि मरीजों की हिस्ट्री को देखते हुए कहा जा सकता है कि यहां तंबाकू व इससे बने उत्पादों के सेवन प्रमुख कारण है। कैंसर रीजनल सेंटर में पिछले पांच साल में 20 से 25 फीसदी मरीजों ने कैंसर को मात देकर सामान्य जीवन जी रहे हैं। डॉ. विवेक चौधरी, सीनियर कैंसर विशेषज्ञ व डीन, नेहरू मेडिकल कॉलेज: कैंसर रीजनल सेंटर में पांच साल का डेटा देखने से लगता है कि प्रदेश में मुंह व गले के कैंसर वाले मरीजों की सबसे ज्यादा मौत हो रही है। इस कैंसर का प्रमुख कारण तंबाकू व तंबाकूयुक्त चीजों का सेवन है। डेटा चौंकाने वाले हैं इसलिए तंबाकू का सेवन करने वाले अलर्ट हो जाएं।
18600 में 3832 मरीज जीवन का ले रहे आनंद
वर्ष 2019 से 2023 तक कैंसर रीजनल सेंटर में 18500 से 18600 मरीजों का इलाज हुआ। इनमें 3832 यानी 20-25 फीसदी मरीज बीमारी से जीतकर जीवन का आनंद ले रहे हैं। अस्पताल में प्रदेश के अतिरिक्त पड़ोसी राज्यों मध्यप्रदेश, ओडिशा, उत्तरप्रदेश व महाराष्ट्र के मरीज कैंसर का इलाज करवा रहे हैं।
सेंटर में कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी एवं इम्युनोथेरेपी से इलाज की सुविधा है। डॉक्टरों के अनुसार, महिलाओं में होने वाले कैंसर में ब्रेस्ट व गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से पूरे देश में सर्वाधिक मौतें होती हैं। पांच सालों में इलाज करवाने वाली ब्रेस्ट कैंसर के 36 प्रतिशत (2043 में 733) मरीज और गर्भाशय ग्रीवा के 30 प्रतिशत मरीज (2991 में 871) अभी स्वस्थ हैं।
तंबाकू व शराब इसलिए है खतरनाक
मुंह और गले के कैंसर के लिए मुख्य कारण तंबाकू का सेवन, शराब पीना,व ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) का संक्रमण जिम्मेदार है। तंबाकू के सेवन से मुंह कैंसर पैदा करने वाले पदार्थों (कार्सिनोजेंस) के संपर्क में आता है। सिगरेट, सिगार, पाइप, चबाने वाला व सूंघने वाले समेत सभी तंबाकू से कैंसर का खतरा बढ़ता है। शराब पीने से कैंसरकारी तत्व कोशिकाओं में प्रवेश कर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। अन्य कैंसर के मरीजों का भी इलाज, इनमें 15 फीसदी स्वस्थ
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कैंसर सेंटर में पांच साल में अन्य कैंसर के 8731 मरीजों का इलाज किया गया। इनमें 15 प्रतिशत यानी 1343 मरीज स्वस्थ और कैंसर मुक्त है। इसमें फेफड़े, ब्रेन ट्यूमर, हड्डी का कैंसर, ब्लड कैंसर, पेट व आंत से जुड़े कैंसर, आंख, किडनी आदि कैंसर के मरीज शामिल है।
सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. युसूफ मेमन के अनुसार स्मोकिंग को फेफड़े का कैंसर होने का बड़ा कारण माना जाता है। बीड़ी व सिगरेट पीने से ऐसा संभव है। ब्लड कैंसर खासकर 10 साल के बच्चों में ज्यादा होता है। प्रदेश में जन्मजात कुछ बच्चों में ब्लड कैंसर होने के केस आए हैं। डॉक्टरों के अनुसार ये चौंकाने वाला है। जीन में बदलाव इसका कारण हो सकता है।