CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर प्रदेश में हर साल 1300 से ज्यादा बच्चे तिरछे तलुवे के साथ जन्म ले रहे हैं। इस बीमारी को कंजेनाइटल क्लब फुट कहा जाता है। पिछले 10 सालों में इस बीमारी के बच्चे बढ़े हैं। इसकी बड़ी वजह प्रेग्नेंसी के दौरान धूम्रपान व बदलती जीवनशैली है। लोग जानकारी के अभाव में इस बीमारी का इलाज नहीं करवाते। इससे बच्चे में दिव्यांगता का खतरा बढ़ता है।
आंबेडकर अस्पताल के ऑर्थोपीडिक विभाग में क्लब फुट का फ्री इलाज होता है। जरूरत के हिसाब से बच्चों के पैरों में प्लास्टर बांधा जाता है या ऑपरेशन किया जाता है। यहां पिछले 3 साल में 500 से ज्यादा क्लब फुट वाले बच्चों को ठीक किया गया है।आंबेडकर व निजी अस्पतालों में रोजाना 10 से ज्यादा केस क्लब फुट के आ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार कुछ बच्चों के दोनों तलुवे तिरछे होते हैं तो कुछ के एक। ये इलाज से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। वे सामान्य बच्चों की तरह जीवनयापन कर सकते हैं।
जीवनशैली बदलने की सलाह
आंबेडकर के अलावा जिला अस्पताल रायपुर, राजनांदगांव, धमतरी, कोरबा, अंबिकापुर, रायगढ़ व जगदलपुर में क्लब फुट से पीड़ित बच्चों के लिए सेंटर बनाए गए हैं। इसमें कुछ एनजीओ भी मदद करते हैं। जब बच्चों का इलाज चलता है, तब पैरेंट्स की काउंसलिंग भी की जाती है। उन्हें जीवनशैली बदलने की सलाह भी दी जा रही है। प्रदेश में 1000 से ज्यादा बच्चे इलाज के लिए पंजीकृत हैं।
ऑपरेशन व प्लास्टर एकमात्र विकल्प
क्लब फुट को ठीक करने के लिए ऑपरेशन व प्लास्टर एकमात्र विकल्प है। कई पालक इस जन्मजात बीमारी को लाइलाज समझकर इलाज नहीं करवाते। डॉक्टरों के अनुसार तिरछे तलुवे के ऊपर प्लास्टर चढ़ाया जाता है। कुछ बच्चों को सर्जरी की जरूरत पड़ती है। 8 से 10 हफ्ते के इलाज में तिरछे तलुवे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। डॉक्टरों के अनुसार हर हफ्ते प्लास्टर बदलना होता है। इससे तलुवे का तिरछापन दूर होता है।
सीनियर ऑर्थोपीडिक सर्जन व एचओडी ऑर्थोपीडिक डॉ. सत्येंद्र फुलझेले ने कहा की क्लब फुट लाइलाज नहीं है। यह प्लास्टर व ऑपरेशन से पूरी तरह ठीक हो जाता है। पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चे के जन्म से अगर तलुवे तिरछे हो तो हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। बच्चा इलाज के बाद सामान्य जीवन जीने लगता है।
इलाज से हो जाते हैं ठीक, सामान्य बच्चों की तरह कर सकते हैं जीवनयापन
सीनियर ऑर्थोपीडिक सर्जन व डायरेक्टर डॉ. सुनील खेमका ने कहा की श्री नारायणा अस्पताल क्लब फुट बच्चों में होने वाली जन्मजात बीमारी है, लेकिन कॉमन नहीं है। कुछ पालक इसे पोलियो समझकर इलाज से बचते हैं। जबकि भारत में पोलियो खत्म हो चुका है। इलाज से तिरछे तलुवे जिंदगीभर के लिए ठीक हो जाता है।
कई महिलाएं गर्भावस्था के दौरान बीड़ी-सिगरेट पीती हैं। इसका धुआं गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरनाक है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि ये क्लब फुट के लिए भी जिम्मेदार है। आंबेडकर अस्पताल में ऑर्थोपीडिक के प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र अहिरे व एसो. प्रोफेसर डॉ. अतिन कुंडू के अनुसार मां के धूम्रपान करने पर गर्भ में बच्चा सीधे धुएं के संपर्क में आ जाता है।
यही नहीं, पिता सिगरेट-बीड़ी पीता है तो मां के आसपास रहने से सांस के जरिए धुआं गर्भ में तक पहुंच जाता है। इससे जन्मजात विकृतियां (कंजेनाइटल एनामली) होने की आंशका बढ़ जाती है। गर्भावस्था के शुरू के तीन महीने में कुछ दवाएं खाने से भी क्लब फुट की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह के दवाएं नहीं खानी चाहिए।
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