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सावधान! फ्री का इंटरनेट पड़ सकता है महंगा, साइभर ठगी से बचने के लिए रखे ये ध्यान… 18 लाख खर्च, फिर भी नहीं मिला मातृत्व सुख पीड़िता का आरोप है कि उनकी संतान प्राप्ति के लिए आईवीएफ प्रक्रिया अपनाई और
अस्पताल को भारी रकम चुकाई। इलाज के दौरान लापरवाही हुई और उसके 11 भ्रूण नष्ट हो गए, जिससे उसकी उमीदों पर पानी फिर गया। यह न सिर्फ आर्थिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी एक बड़ा आघात था।
महिला आयोग ने अस्पताल को निर्देश दिया कि एक महीने के भीतर महिला का भ्रूण प्रत्यारोपण कर उसे मां बनने का अवसर दिया जाए। अगर ऐसा नहीं होता, तो अस्पताल को 18 लाख रुपए और 2.80 लाख रुपए अतिरिक्त मुआवजा लौटाना होगा।
महिला आयोग का सख्त रुख राज्य
महिला आयोग ने स्पष्ट किया कि यदि अस्पताल इस आदेश का पालन नहीं करता, तो उसके लाइसेंस रद्द करने की अनुशंसा की जाएगी। यह सिफारिश ऑल इंडिया मेडिकल काउंसिल, छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल काउंसिल और स्वास्थ्य विभाग को भेजी जाएगी।
महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने कहा कि यह मामला उन महिलाओं के लिए एक सबक है, जो संतान की चाह में आईवीएफ का सहारा लेती हैं। आयोग ने दोषी क्लीनिक और डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया, ताकि भविष्य में कोई और महिला इस तरह के धोखे का शिकार न हो।