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छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच अंतरराज्यीय परिवहन के लिए एक पारस्परिक समझौता पूर्व में किया गया है। अब छत्तीसगढ़ सरकार और ओडिशा सरकार को अनेक आवेदन नए मार्ग खोलने के लिए मिले हैं। इस मामले को लेकर अब छत्तीसगढ़ सरकार के परिवहन विभाग ने एक सूचना जारी कर इससे प्रभावित होने वालों से 30 दिनों के अंदर दावा आपत्ति मंगाई है और संशोधन का प्रारूप जारी किया है।
बस किराए पर लेने का अनुबंध 6 साल का होगा यात्री बसों को किराये पट्टे पर लेने के मामले में, अनुबंध केवल परिवार के सदस्यों के बीच कम से कम छह साल की अवधि के लिए होगा और इसे संबंधित उप-पंजीयक के समक्ष पंजीकृत किया जायेगा। केन्द्रीय मोटरयान नियम, 1989 के नियम 60 के अंतर्गत किराये पट्टे के तथ्य को पंजीकरण प्रमाण पत्र में उल्लेखित किया जाना अनिवार्य होगा।
ये है संशोधन एक राज्य से परमिट रखने वाले व्यक्ति को निवास के परिवर्तन या व्यवसाय के प्रमुख स्थान के आधार पर पारस्परिक राज्य से परमिट प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। स्थायी अनुज्ञा पत्र के अंतरण की अनुमति केवल परिवार के सदस्यों के मध्य होने पर ही दी जाएगी। छत्तीसगढ़ सरकार एवं उड़ीसा सरकार द्वारा स्वीकृत अनुज्ञा पत्रों एवं प्रतिहस्ताक्षर किये गये अनुज्ञा पत्रों की सूची को दोनों राज्य साझा करेंगे।
वाहनों का अंतराल कम से कम 10 मिनट का होगा नवीन अनुज्ञापत्र की स्वीकृति के दौरान प्राप्त आपत्तियों व अन्य तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए, वाहनों के मध्य कम से कम 10 मिनट का युक्तियुक्त अंतराल बनाए रखा जायेगा। दोनों राज्यों के मध्य अवैध वाहन संचालन संबंधी शिकायतों पर तत्काल कार्यवाही की जायेगी। छत्तीसगढ़ के बस संचालकों को उड़ीसा राज्य में वाहन संचालन हेतु सभी प्रकार की सुविधा और आवश्यक सहयोग उड़ीसा सरकार द्वारा प्रदान किया जायेगा। इसी प्रकार की सुविधा व सहयोग छत्तीसगढ़ राज्य में उड़ीसा के वाहन संचालकों को दी जायेगी।
बस संचालकों में नारजगी, कही ये बात छत्तीसगढ़ से ओडिशा की ओर बस संचालन करने वाले आपरेटरों में मौजूदा व्यवस्था को लेकर नाराजगी है, क्योंकि उनके वाहनों को ओडिशा में चलने नहीं दिया जा रहा है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अनवर अली का कहना है कि ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ राज्य के बीच जो फेरों की संख्या बढ़ाई जा रही है, उससे सिर्फ फायदा ओडिशा के बस ऑपरेटरों को होना है, क्योंकि ओडिशा राज्य के बस ऑपरेटर और परिवहन विभाग सिर्फ उड़ीसा वालों का सपोर्ट करता है, छत्तीसगढ़ राज्य की ना पहले गाड़ियां चलने दी है ना अभी चलने दे रहा है। अपने कोटे के परमिट तो ले ही लेते हैं छत्तीसगढ़ के कोटे के परमिट भी उड़ीसा वाले ले लेते हैं और यहां के परिवहन विभाग अधिकारी उनको दे भी देते हैं।