देवी की दस महाविद्याएं
गुप्त नवरात्रि में नौ देवियों के साथ दस महाविद्याओं की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इनमें मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी व मां कमला हैं।
नौ दिन तक माता की आराधना में लीन रहेंगे साधक
सोमवार को घटस्थापना या कलश स्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की गई। देवी ब्रह्मचारिणी, माता चन्द्रघंटा, देवी कूष्माण्डा, देवी स्कन्दमाता, देवी कात्यायनी, देवी कालरात्रि की पूजा की जाएगी। 26 जून को अष्टमी मनाई जाएगी व महागौरी का पूजन होगा। भडली नवमी को अबूझ मुहूर्त के मौके सिद्धिदात्री का पूजन होगा।
साल में चार नवरात्र
साल में चार नवरात्रि आती हैं। इनमें दो प्रकट और दो गुप्त नवरात्रि होते हैं। चैत्र माह की नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि व अश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्र कहा जाता है। जबकि माघ और आषाढ़ मास के नवरात्रों को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। क्योंकि आमजन में यह बहुत प्रचलित नहीं है। इसकी वजह यह है कि गुप्त नवरात्रि को सिद्धि और साधना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और तंत्र मंत्र के साधक इसमें विशेष रूप से साधना करते हैं।
गुप्त नवरात्रि पर बनेंगे शुभ संयोग
आषाढ़ गुप्त गुप्त नवरात्रि अबकी बार 19 जून से आरंभ हो गया है। ऐसे में अबकी बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि नौ दिनों की होगी। इस दौरान 25 जून को सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है जबकि पूरे गुप्त नवरात्रि के दौरान तीन रवि योग का संयोग बना है, जो बेहद दुर्लभ है। इस नवरात्रि 20, 24 और 27 जून को रवियोग रहेगा।
गुप्त नवरात्रि में नौ देवियों के साथ दस महाविद्याओं की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ज्योतिषाचार्य पंडित कुशाल दवे व राजेश ओझा नेे बताया कि गुप्त नवरात्र पर इस बार कोई तिथि क्षय नहीं होगी, नौ दिन के नवरात्र रहेंगे। देवी मंदिरों व घरों में लोग आदिशक्ति की पूजा-अर्चना करेंगे। तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि का खास महत्व माना जाता है। इस नवरात्रि में माता की आराधना रात के समय की जाती है। इन नौ दिनों के लिए कलश की स्थापना की जा सकती है।