जोश, जीत और जश्न: बदल गई तस्वीर
राज कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार व स्तंभकार


बारह साल बाद तीसरी बार चैंपियंस ट्रॉफी की खिताबी जीत ने अंग्रेजी की एक कहावत के इस हिंदी भावार्थ को भी फिर रेखांकित कर दिया कि सफलता में बहुत से हिस्सेदार होते हैं, लेकिन असफलता में कोई नहीं होता। इसी साल जनवरी के पहले सप्ताह में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पांच टेस्ट मैचों की शृंखला का आखिरी मैच खेला था। उस शृंखला में भारत की शर्मनाक हार के बाद प्रशंसकों का टीम इंडिया पर गुस्सा जमकर फूटा। कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त खिलाडिय़ों को टीम से बाहर करने की मांग की जाने लगी, लेकिन डेढ़-दो महीने बाद ही 20 फरवरी से 9 मार्च तक टीम इंडिया ने चैंपियंस ट्रॉफी में शानदार और अजेय प्रदर्शन किया, तो उसका जश्न समय से पहले ही देश में होली मनाने का मौका बन गया। रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे जिन बड़े खिलाडिय़ों को ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद चुका हुआ मान लिया गया था… टीम के हेड कोच गौतम गंभीर भी जिन्हें अप्रत्यक्ष नसीहत दे रहे थे… बीसीसीआइ जिनके संन्यास पर चर्चा करने लगा था… उन्होंने ही टीम इंडिया को रिकॉर्ड तीसरी बार आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जिताने में निर्णायक भूमिका निभाई।
बेशक क्रिकेट एक टीम गेम है और ज्यादातर खिलाडिय़ों के बेहतर प्रदर्शन के बिना जीत मुश्किल होती है। इसलिए कुलदीप यादव और वरुण चक्रवर्ती की गेंदबाजी तथा श्रेयस अय्यर और केएल राहुल की बल्लेबाजी के महत्त्व को कम नहीं आंका जा सकता, लेकिन अगर फाइनल में बतौर ओपनर कप्तान रोहित शर्मा ने 83 गेंदों पर 76 रनों की धुआंधार पारी नहीं खेली होती तो न्यूजीलैंड के 251 रनों को पार कर ट्रॉफी उठा पाना नामुमकिन होता। विराट कोहली की शतकीय पारी के बिना चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के विरुद्ध भी जीत मुश्किल होती। ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध जीत में भी कोहली के अर्धशतक की भूमिका रही। वैसे तो पाकिस्तान के विरुद्ध जीत भारतीय मनोविज्ञान को सबसे ज्यादा सुकून देती है, लेकिन इस चैंपियंस ट्रॉफी में न्यूजीलैंड के विरुद्ध दो और ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध एकमात्र मैच में जीत ने भी भारतीय क्रिकेट और प्रशंसकों को बड़ी राहत पहुंचाई है। ऑस्ट्रेलिया के अपेक्षित प्रदर्शन न कर पाने का कारण उसके मुख्य तेज गेंदबाजों की गैर मौजूदगी भी रही। न्यूजीलैंड की टीम सबसे प्रोफेशनल टीम मानी जाती है, जो पूरा होमवर्क कर मैदान पर उतरती है और अपनी रणनीति के मुताबिक खेलने की कोशिश भी करती है। आखिर न्यूजीलैंड के रचिन रविंद्रन ही चार मैच खेलकर दो शतकों के साथ चैंपियंस ट्रॉफी में सबसे ज्यादा 263 रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट भी बने। चोट के चलते फाइनल में न खेल पाने के बावजूद न्यूजीलैंड के ही मैट हेनरी चार मैचों में सबसे ज्यादा 10 विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे। इसलिए ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के विरुद्ध जीत निश्चय ही टीम इंडिया के खोए हुए आत्मविश्वास की बहाली में मददगार साबित होंगी। गौरतलब है कि पिछले साल पहले तो न्यूजीलैंड से हमें घरेलू मैदान पर शृंखला के तीनों टेस्ट मैचों में शर्मनाक हार मिली और फिर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अच्छी शुरुआत के बावजूद टीम इंडिया ने बेहद लचर प्रदर्शन किया, जिसके चलते पहली बार भारत वल्र्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में नहीं पहुंच पाया।
2002 और 2013 के बाद टीम इंडिया ने अब तीसरी बार चैंपियंस ट्रॉफी जीती है। रोहित शर्मा और विराट कोहली सबसे ज्यादा चार-चार आइसीसी खिताब जीतने वाले खिलाड़ी बन गए हैं, तो महेंद्र सिंह धोनी के बाद रोहित दो आइसीसी खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय कप्तान भी बन गए हैं। तीसरी बार चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के अलावा टीम इंडिया ने इस बार टूर्नामेंट में अजेय प्रदर्शन भी किया। टीम इंडिया ने अपने सभी पांच मैच जीते, जो निश्चय ही असाधारण प्रदर्शन है। चोटिल जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में चैंपियंस ट्रॉफी में गेंदबाजी आक्रमण को टीम इंडिया की सबसे कमजोर कड़ी माना जा रहा था। टीम में पांच स्पिनरों के चयन पर भी सवाल उठे थे, लेकिन वह जुआ भारत के पक्ष में गया। दोबारा मौका मिलने पर वरुण चक्रवर्ती ने शानदार प्रदर्शन कर टीम में जगह पक्की कर ली लगती है। बेशक ऑलराउंडर अक्षर पटेल को स्पेशलिस्ट बल्लेबाज-विकेटकीपर केएल राहुल से पहले बल्लेबाजी के लिए भेजना अखरता रहा, लेकिन अक्षर लगातार खुद को साबित कर रहे हैं। बल्लेबाजी क्रम में नीचे भेजे जाने से सीमित अवसरों पर भी राहुल ने अपने जिम्मेदारीपूर्ण प्रदर्शन से प्रभावित किया है। ऐसे में विस्फोटक बल्लेबाज-विकेटकीपर ऋषभ पंत को टीम इंडिया में वापसी के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। निश्चय ही यह समय रोहित और विराट के संन्यास की अटकलों पर विराम लगाते हुए शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर, अक्षर पटेल और वरुण चक्रवर्ती के मैच जिताऊ प्रदर्शनों से टीम इंडिया की जीत के ट्रैक पर वापसी और बेहतर भविष्य के भरोसे पर जश्न मनाने का है।
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