scriptदूसरे मोर्चों पर भी भारत-चीन संबंधों को पटरी पर लाने के प्रयास | Efforts to bring India-China relations back on track on other fronts as well | Patrika News
ओपिनियन

दूसरे मोर्चों पर भी भारत-चीन संबंधों को पटरी पर लाने के प्रयास

गलवान संघर्ष के बाद सीमा पर तैनात दोनों देशों के हजारों सैनिक और आक्रामक सैन्य उपकरण अब भी वहीं बने हुए हैं। संबंधों को सामान्य बनाने के लिए इन सैन्य जमावड़ों को नियंत्रित करना आवश्यक होगा। दूसरी ओर, प्रत्यक्ष उड़ानों की बहाली, वीजा जारी करने, मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने और जल संबंधी आंकड़ों के आदान-प्रदान जैसी पहल की जा रही हैं।

जयपुरMar 27, 2025 / 08:21 am

Sanjeev Mathur

श्रीकांत कोंडापल्ली, जेएनयू में चीनी अध्ययन के प्रोफेसर
आर्थिक संबंधों के समानांतर दूसरे मोर्चों पर भी भारत-चीन संबंधों को पटरी पर लाने के प्रयास हो रहे हैं। लेकिन ये संबंध अभी भी एक नाजुक मोड़ पर हैं और अब वैश्विक रणनीतिक परिस्थितियों से प्रभावित हो रहे हैं, विशेष रूप से डॉनल्ड ट्रंप ने अमरीका के राष्ट्रपति पद की बागडोर संभालने के बाद से। 16 मार्च को लेक्स फ्रिडमैन के साथ अपने पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-चीन संबंधों में मतभेदों को कम करके आंकते हुए आगाह किया कि ‘मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए।’ उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ‘संवाद ही एक स्थिर और सहयोगात्मक संबंध की कुंजी है, जिससे दोनों देशों को लाभ मिलेगा।’ पिछले वर्ष से भारत-चीन संबंधों में कुछ सहजता आई। 21 अक्टूबर को दोनों पक्षों ने पश्चिमी सीमा क्षेत्र में डेपसांग मैदान और देमचोक में सैनिकों को हटाने और गश्त शुरू करने की घोषणा की। कुछ दिनों बाद, 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने घोषणा की कि दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि सीमा विवाद पर चर्चा फिर से शुरू करेंगे।
इस बीच, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव विक्रम मिसरी बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात कर चुके हैं। अब तक कोर कमांडर स्तर की 23 और भारत-चीन सीमा मामलों के परामर्श और समन्वय कार्य तंत्र की 32 बैठकें हो चुकी हैं। हालांकि, वास्तविक तनाव में कमी नहीं आई है। गलवान संघर्ष के बाद सीमा पर तैनात दोनों देशों के हजारों सैनिक और आक्रामक सैन्य उपकरण अब भी वहीं बने हुए हैं। संबंधों को सामान्य बनाने के लिए इन सैन्य जमावड़ों को नियंत्रित करना आवश्यक होगा। दूसरी ओर, प्रत्यक्ष उड़ानों की बहाली, वीजा जारी करने, मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने और जल संबंधी आंकड़ों के आदान-प्रदान जैसी पहल की जा रही हैं। लेकिन इसी बीच, चीन ने अरुणाचल प्रदेश के उत्तर में स्थित यारलुंग त्संगपो नदी पर 137 अरब डॉलर की लागत से विशालकाय बांध बनाने की घोषणा कर दी, जिससे निचले क्षेत्रों के लोगों और वहां की अर्थव्यवस्था को लेकर गंभीर चिंताएं उपजी हैं। साथ ही, चीन ने विवादित अक्साई चिन क्षेत्र में दो नए प्रशासनिक जिले बनाने की घोषणा की है।

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