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दो विभागों के बीच अटकी तीस गांव के किसानों के लिए बनी योजनाएं

सेटलमेंट व कैचमेंट विभाग की लापरवाही का खमियाजा तीस गांवों के किसानों को भुगतना पड़ रहा है। दो विभागों के तालमेल के अभाव में इन गांवों के किसानों की जमीन ऑनलाइन नहीं हो पा रही है। किसानों को भूमि ऑनलाइन नहीं होने से अब किसानों को रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से वंचित होना पड़ रहा है।

बूंदीApr 18, 2025 / 12:25 pm

Narendra Agarwal

दो विभागों के बीच अटकी तीस गांव के किसानों के लिए बनी योजनाएं

कार्यालय

केशवरायपाटन. सेटलमेंट व कैचमेंट विभाग की लापरवाही का खमियाजा तीस गांवों के किसानों को भुगतना पड़ रहा है। दो विभागों के तालमेल के अभाव में इन गांवों के किसानों की जमीन ऑनलाइन नहीं हो पा रही है। किसानों को भूमि ऑनलाइन नहीं होने से अब किसानों को रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से वंचित होना पड़ रहा है। 25 साल पुरानी समस्या अब राजस्व विभाग के गले की घंटी बन गई है। इस समस्या का समाधान करने के लिए संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर बूंदी को पत्रावली भेजी गई है। रिकार्ड दुरुस्त नहीं होने से किसानों को केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए शुरू की किसान रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। सेटलमेंट व कैचमेंट विभाग की ओर से जो रिकॉर्ड सौंपा गया वह एकरुपता में नहीं होने से यह समस्या आ रही है। सेटलमेंट विभाग ने जो रिकॉर्ड दिया वह हैक्टेयर में व कैचमेंट विभाग ने बीघा में रिकॉर्ड सौंपा गया था। दोनों के नक्शे मिलान नहीं हो पा रहे हैं। राजस्व विभाग के सूत्रों ने बताया कि सेटलमेंट विभाग ने इसे दुरुस्त करने के लिए वर्ष 1993-94 में रिकॉर्ड ठीक करने के लिए रिकॉर्ड लिया था, जिसमें से सात गांवों का रिकॉर्ड ठीक कर वर्ष 1997-98 में रिकॉर्ड राजस्व विभाग को सौंपी दिया। अन्य गांवों के किसानों का रिकॉर्ड ठीक नहीं किया गया।
एक दुसरे पर डाल रहे हैं जिम्मेदारी
राजस्व विभाग 25 साल से कैचमेंट व सेटलमेंट विभाग से रिकॉर्ड ठीक करने को कह रहा है, लेकिन दोनों विभागों के अधिकारी इस मामले में गंभीर नहीं है। एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। दो विभागों की लापरवाही का खमियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। किसानों को ऑनलाइन नकले व गिरदावरी भी नहीं मिल रही है। अब गरीब किसानों के सामने केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं के लाभ से भी वंचित रहना पड़ सकता है।
यह फंस रहा है पैंच
सेटलमेंट ने भूमि का रकबा हैक्टेयर में बदलकर रिकॉर्ड सौंपा था, लेकिन कैचमेंट ने यह रिकॉर्ड बीघा में तैयार कर राजस्व विभाग दिया है, जबकि यहां पर सारे दस्तावेज हैक्टेयर में ऑनलाइन किए जा रहे हैं। बीघा का पैमाना
इंच फीट नापा जाता है, जबकि हैक्टेयर का नापने का नया यंत्र आ गया है। ऐसी स्थिति में राजस्व विभाग चाहता है कि कैचमेंट भी भूमि को हैक्टेयर में दर्शाकर रिकॉर्ड तैयार करें, तब ही इनका रिकॉर्ड ऑनलाइन हो सकता है।
लाभ से वंचित रहेंगे इन गांवों के किसान
तहसील के गुडली, पटोलिया, लेसरदा, बंजारों की झोपडिय़ां, बालीथा, निमोठा, जयस्थल, ओहडी, जलोदा, भींडी, अरनेठा, रडी, बालापुरा, बलकासा, बोरदामाल, लक्ष्मीपुरा, अडीला, हीरापुर, कोडक्या, आजन्दा, ङ्क्षहगोनिया, गरजनी, अरडाना, बाझडली, झालीजी का बराना, नयागांव, हरिपुरा उर्फ काली तलाई, करवाला की झोपडिय़ां, मैनोली, कोडक्या बालाजी के गांवों का रिकॉर्ड ओनलाइन नहीं होने से इनका किसान रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है। अब इनके उपर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लाभ से भी वंचित रहना पड़ सकता है।
यह समस्या 25 साल पुरानी है। कई बार कैचमेंट विभाग को रिकार्ड दुरुस्त करने के लिए कहा गया। इस समस्या से तहसीलदार ने भी जिला कलक्टर व संभागीय आयुक्त कोटा को अवगत करा रखा है। सर्व व रिसर्वे होने के बाद ही इस समस्या का समाधान संभव है। राजस्व विभाग इस मामले में प्रयास कर रहा है। किसान रजिस्ट्रेशन नहीं भी होगा तब भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।
रतन लाल जैन, नायब तहसीलदार केशवरायपाटन

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