यह भी पढ़ें: Raipur News: रायपुर के टेंट हाउस में भीषण आग, मची अफरा-तफरी टॉपिक एक्सपर्ट से समझिए वजह धूल में 55 से 60 फीसदी कार्बन जंगलों में आग की वजह जो पिछले दो-तीन सालों में देखने में आ रही है वह है हवा में नमी खत्म हो जाना। अभी 35 से 38 डिग्री तापमान में नमी का खत्म होना बहुत ही खतरनाक संकेत है। छत्तीसगढ़ समेत मध्य भारत में बड़ी मात्रा में वायुमंडल में ऑर्गेनिक कार्बन है।
ये है आर्गेनिक कार्बन आर्गेनिक कार्बन अपूर्ण दहन की वजह से आता है। लो ग्रेडेड कोयला पावर प्लांट, सीमेंट प्लांट और घरों में जलाया जा रहा है। कचरा जलाया जा रहा है। इनकी वजह से ऑर्गेनिक कार्बन आ रहा है। छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में अभी भी गैस की जगह पारंपरिक तरीके से भोजन बनाया जाता है।
पत्तों में रगड़ से भी लगती है आग हमारे यहां वायुमंडल में जो धूल है, उसमें 55 से 60 प्रतिशत तक कार्बन है। आर्गेनिक कार्बन हाइड्रोस्कॉपिक होता है। इससे हवा में नमी खत्म हो जाती है। ऐसे में पत्तों में रगड़ से आग लग जाती है। लॉस एंजिलिस में भी नमी खत्म होने के कारण ही आग लगी थी। चार-पांच साल पहले भी उत्तराखंड में जो आग लगी थी, वह भी इसी कारण से थी।
पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान जंगलों में आग की वजह से सबसे अधिक नुकसान पारिस्थितिक तंत्र को हो रहा है। इससे ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा और बढ़ रही है। जब पत्ती जलती है तब सफेद धुआं निकलता है। यही ऑर्गेनिक कार्बन है। इसी तरह नमी कम होती रही तो जमीन में वाष्पीकरण बढ़ जाएगा। इससे भूमिगत जल का स्तर और नीचे जाएगा। इससे फसल की पैदावार और कम हो जाएगी। फसलों की गुणवत्ता में कमी आएगी।
डॉ. शम्स परवेज, पर्यावरणविद और रसायन शास्त्री जंगलों में आग रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। हम सैटेलाइट से भी इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं। जहां से भी सूचना आती है, एक घंटे के अंदर हमारी टीम वहां पहुंचकर आग बुझाती है। 15 फरवरी से लेकर 15 जून तक टीम अलर्ट मोड पर रहती है। जिस सिरपुर वन परिक्षेत्र की आप बात कर रहे हैं, वहां की सूचना आई थी, एक घंटे में टीम पहुंच गई थी।
वी. श्रीनिवास, पीसीसीएफ, छत्तीसगढ़
अलग से डीसी
वी. श्रीनिवास, पीसीसीएफ, छत्तीसगढ़
अलग से डीसी
ये भी हैं कारण 1: तेंदूपत्ता तोड़ने वाले तेंदूपत्ता छोटे पौधों से तोड़ते हैं। इसके लिए पौधों को छांटना होता है। क्योंकि नए पौधे के पत्तों की गुणवत्ता अच्छी होती है। सभी पौधों को काटना संभव नहीं है, इसलिए जंगलों में आग लगा दी जाती है।
- महुआ बीनने बाले
- शिकारी भी बड़ी वजह
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अब तक जंगलों में आग की घटना- 5997 पिछले चार साल के आंकड़े वर्ष – आगजनी की घटना
2021- 22191
2022- 18447
2023- 13096
2024- 14776
2025- 10262
पिछले सात दिन के आंकड़े
तारीख आगजनी की घटना
2021- 22191
2022- 18447
2023- 13096
2024- 14776
2025- 10262
पिछले सात दिन के आंकड़े
तारीख आगजनी की घटना
19 मार्च- 416 18 मार्च – 881 17 मार्च – 817 16 मार्च- 753 15 मार्च- 553 14 मार्च- 354 13 मार्च- 491 75 दिन में 7489 बार छत्तीसगढ़ के जंगल धधके
16 मार्च- 94 15 मार्च- 553 14 मार्च- 354 13 मार्च- 491 12 मार्च- 709 इस वर्ष आगजनी की कुल घटना- 7489