scriptCG Forest Fire: 78 दिन में 10262 बार लगी जंगल में आग, आर्गेनिक कार्बन एक बड़ी वजह | Patrika News

CG Forest Fire: 78 दिन में 10262 बार लगी जंगल में आग, आर्गेनिक कार्बन एक बड़ी वजह

CG Forest Fire: जंगलों में आग की वजह जो पिछले दो-तीन सालों में देखने में आ रही है वह है हवा में नमी खत्म हो जाना। अभी 35 से 38 डिग्री तापमान में नमी का खत्म होना बहुत ही खतरनाक संकेत है।

भिलाईMar 20, 2025 / 08:30 am

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CG Forest Fire: 78 दिन में 10262 बार लगी जंगल में आग, आर्गेनिक कार्बन एक बड़ी वजह
CG Forest Fire: छत्तीसगढ़ के जंगल अचानक से धधक उठे हैं। मंगलवार को सिरपुर वन परिक्षेत्र में भयावह आग लगी थी। एक घंटे तक कोई बुझाने वाला नहीं आया। आसपास मिले ग्रामीणों से पूछने पर कि आग किसने लगाई, उन्होंने कहा जानकारी नहीं है। सिर्फ मंगलवार को पूरे छत्तीसगढ़ के जंगलों में आगजनी के 528 मामले हुए। बुधवार को 709 फायर कॉल आए। इस तरह वर्ष 2025 में अब तक 5997 मामले आगजनी के हो चुके हैं। जंगलों में आग लगने की तीन कारण बताए जाते हैं लेकिन वैज्ञानिकों ने इसकी एक नई वजह भी बताई है। उनका कहना है कि ऑर्गेनिक कार्बन के कारण हवा में नमी की मात्रा कम हो गई, इसलिए जंगलों में आग लग रही है।
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टॉपिक एक्सपर्ट से समझिए वजह

धूल में 55 से 60 फीसदी कार्बन

जंगलों में आग की वजह जो पिछले दो-तीन सालों में देखने में आ रही है वह है हवा में नमी खत्म हो जाना। अभी 35 से 38 डिग्री तापमान में नमी का खत्म होना बहुत ही खतरनाक संकेत है। छत्तीसगढ़ समेत मध्य भारत में बड़ी मात्रा में वायुमंडल में ऑर्गेनिक कार्बन है।
ये है आर्गेनिक कार्बन

आर्गेनिक कार्बन अपूर्ण दहन की वजह से आता है। लो ग्रेडेड कोयला पावर प्लांट, सीमेंट प्लांट और घरों में जलाया जा रहा है। कचरा जलाया जा रहा है। इनकी वजह से ऑर्गेनिक कार्बन आ रहा है। छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में अभी भी गैस की जगह पारंपरिक तरीके से भोजन बनाया जाता है।
पत्तों में रगड़ से भी लगती है आग

हमारे यहां वायुमंडल में जो धूल है, उसमें 55 से 60 प्रतिशत तक कार्बन है। आर्गेनिक कार्बन हाइड्रोस्कॉपिक होता है। इससे हवा में नमी खत्म हो जाती है। ऐसे में पत्तों में रगड़ से आग लग जाती है। लॉस एंजिलिस में भी नमी खत्म होने के कारण ही आग लगी थी। चार-पांच साल पहले भी उत्तराखंड में जो आग लगी थी, वह भी इसी कारण से थी।
पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान

जंगलों में आग की वजह से सबसे अधिक नुकसान पारिस्थितिक तंत्र को हो रहा है। इससे ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा और बढ़ रही है। जब पत्ती जलती है तब सफेद धुआं निकलता है। यही ऑर्गेनिक कार्बन है। इसी तरह नमी कम होती रही तो जमीन में वाष्पीकरण बढ़ जाएगा। इससे भूमिगत जल का स्तर और नीचे जाएगा। इससे फसल की पैदावार और कम हो जाएगी। फसलों की गुणवत्ता में कमी आएगी।
डॉ. शम्स परवेज, पर्यावरणविद और रसायन शास्त्री

जंगलों में आग रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। हम सैटेलाइट से भी इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं। जहां से भी सूचना आती है, एक घंटे के अंदर हमारी टीम वहां पहुंचकर आग बुझाती है। 15 फरवरी से लेकर 15 जून तक टीम अलर्ट मोड पर रहती है। जिस सिरपुर वन परिक्षेत्र की आप बात कर रहे हैं, वहां की सूचना आई थी, एक घंटे में टीम पहुंच गई थी।
वी. श्रीनिवास, पीसीसीएफ, छत्तीसगढ़
अलग से डीसी
ये भी हैं कारण

1: तेंदूपत्ता तोड़ने वाले

तेंदूपत्ता छोटे पौधों से तोड़ते हैं। इसके लिए पौधों को छांटना होता है। क्योंकि नए पौधे के पत्तों की गुणवत्ता अच्छी होती है। सभी पौधों को काटना संभव नहीं है, इसलिए जंगलों में आग लगा दी जाती है।
  1. महुआ बीनने बाले
महुआ बीनने वाले भी जंगल में आग लगाते हैं। महुआ जमीन पर गिरता है तो पत्तों के कारण नहीं दिखता है। ऐसे में पत्तों को जलाने के लिए आग लगाई जाती है।
  1. शिकारी भी बड़ी वजह
बस्तर और गरियाबंद के जंगलों में शिकार के लिए भी आग लगाते हैं। शिकारी एक तरफ हथियार लेकर इंतजार करते हैं और दूसरी तरफ आग लगाई जाती है। जिससे जानवार शिकारियों के निशाने पर आ जाते हैं।
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार

इस वर्ष अब तक जंगलों में आग की घटना- 5997

पिछले चार साल के आंकड़े

वर्ष – आगजनी की घटना
2021- 22191
2022- 18447
2023- 13096
2024- 14776
2025- 10262
पिछले सात दिन के आंकड़े
तारीख आगजनी की घटना
19 मार्च- 416

18 मार्च – 881

17 मार्च – 817

16 मार्च- 753

15 मार्च- 553

14 मार्च- 354

13 मार्च- 491

75 दिन में 7489 बार छत्तीसगढ़ के जंगल धधके
16 मार्च- 94

15 मार्च- 553

14 मार्च- 354

13 मार्च- 491

12 मार्च- 709

इस वर्ष आगजनी की कुल घटना- 7489

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