रविवार को रेलवे के निर्माण शाखा के चीफ इंजीनियर धीरज कुमार ने टनल का निरीक्षण किया। टनल की फिनिशिंग के लिए तीन गेन्ट्री मशीनों का उपयोग हो रहा है। इनसे 48 घंटे में करीब सात से आठ मीटर टनल की फिनिशिंग होती है। काम की रतार बढ़ाने सोमवार से यहां एक और गेन्ट्री मशीन लगाई जाएगी। रेलवे 48 घंटे में करीब 20 मीटर फिनिशिंग का लक्ष्य पाने के लिए टनल के मध्य से दोनों ओर गेन्ट्री मशीन से काम की तैयारी की है।
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ये होगा खास
- टनल की मजबूती के लिए 530 मिमी तक कांक्रीट परत
- 2956 मीटर की टनल के बीच 1500 मी. पर यात्रियों को निकालने एस्केप लिट भी बनाएंगे।
टेक्सटाइल-स्टील फाइबर से मजबूती
टनल को आगामी 100 वर्षों तक उपयोग लायक बनाने के लिए मजबूती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। टनल की खुदाई के बाद पहाड़ी की सतह पर लोहे के सरियों का जाल बिछाया गया। इसके बाद कांक्रीट से इसे समतल किया गया। यहां फाइबर टेक्सटाइल से सतह को कवर्ड किया गया। कांक्रीट के साथ स्टील फाइबर का उपयोग हो रहा है जो टनल को भूकंपरोधी बनाने के लिए मजबूती पर ध्यान रखा है।
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प्रदेश की सबसे बड़ी टनल निर्माण पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से समय-समय पर प्रोग्रेस रिपोर्ट ली जा रही है। दिसंबर माह तक इंदौर से दाहोद लाइन पर ट्रेन संचालन की उमीद जताई जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार टनल में फिनिशिंग और ट्रैक बिछाने का कार्य अक्टूबर तक पूर्ण किया जा सकता है। इंदौर से धार तक ट्रेन संचालन में आसानी होगी। पीथमपुर और टिही के मध्य एक लोहे का ओवरब्रिज भी बनेगा।