जज के साथ दुर्व्यवहार, आरोपी और वकील पर कोर्ट सख्त
एक आरोपी ने जब अदालत का फैसला अपने पक्ष में नहीं पाया, तो उसने न्यायाधीश पर कोई वस्तु फेंकने की कोशिश की। इसके बाद उसने अपने वकील को निर्देश दिया कि वह किसी भी तरह से उसके पक्ष में फैसला करवाने की पूरी कोशिश करे। आरोपी और उसके वकील ने कोर्ट में न्यायाधीश को धमकी दी कि यदि फैसला उनके पक्ष में नहीं आया तो इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। आरोपी ने कोर्ट में न्यायाधीश से कहा “तू है क्या चीज…बाहर मिल, देखता हूं कैसे जिंदा घर जाती है।” इस दौरान आरोपी ने महिला न्यायाधीश पर कोई चीज फेंकने की कोशिश की।
तू है क्या चीज…बोलते ही कोर्ट में छाया सन्नाटा
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, 2 अप्रैल को दिए गए आदेश में कोर्ट ने बताया कि आरोपी ने न्यायाधीश को धमकी दी और कहा, “तू है क्या चीज… तू बाहर मिल, देखता हूं कैसे जिंदा घर जाती है।” न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवांगी मंगला ने आरोपी को चेक बाउंस से जुड़े मामले में दोषी ठहराया था। इसके साथ ही, उन्हें अगली सुनवाई में सीआरपीसी की धारा 437A के अंतर्गत जमानत बांड दाखिल करने का निर्देश दिया गया था। आरोपी और वकील की धमकी के बाद कोर्ट में सन्नाटा छा गया। आरोपी और वकील ने इस्तीफा देने का बनाया दबाव
न्यायाधीश मंगला ने अपने आदेश में कहा कि दोषसिद्धि के बाद आरोपी और उसके वकील ने उन्हें धमकाया और उनके पद से इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला। आरोपी की ओर से बरी किए जाने की मांग की गई, जबकि कोर्ट ने पहले ही उसे दोषी ठहरा दिया था। इतना ही नहीं, न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने और जबरन इस्तीफा दिलवाने की भी धमकी दी गई।
राष्ट्रीय महिला आयोग से कार्रवाई की मांग
जज ने कहा कि उनके खिलाफ दी गई धमकियों और उत्पीड़न को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग, दिल्ली में उचित शिकायत दर्ज कराई जाएगी और जरूरी कदम उठाए जाएंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायाधीशों को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किसी भी प्रकार की बाधा के बावजूद न्याय के लिए हमेशा आवश्यक कदम उठाने चाहिए। वकील को नोटिस, स्पष्टीकरण मांगा गया
न्यायालय ने आरोपी के वकील अतुल कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि न्यायाधीश के साथ दुर्व्यवहार के लिए उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि वकील लिखित में अपना स्पष्टीकरण दें और यह भी स्पष्ट करें कि इस व्यवहार के लिए उन्हें हाई कोर्ट में भेजकर कार्रवाई क्यों न की जाए। वकील को अगली सुनवाई की तारीख पर जवाब देने का निर्देश दिया गया है।