गरम दल ने नरम दल के सामने रखा था ये प्रस्ताव
गरम दल का यह विचार था कि हमें आजादी हड़ताल, विरोध प्रदर्शन और इस तरह के आयोजनों से लेनी है जबकि नरम दल इस बात का पक्षधर था कि बातचीत व शांतिपूर्ण तरीके से स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है।
बुलानी पड़ी थी पुलिस
सूरत अधिवेशन के पहले दिन जब बनर्जी ने घोष के सत्र की अध्यक्षता के रूप में औपचारिक रूप से घोषणा की तब गरम दल के नेताओं ने आवाज उठाई। इसके बाद सामान्य सभा को निलंबित कर दिया गया। बताया जाता है कि विवाद इतना बढ़ गया था कि पुलिस भी बुलानी पड़ी थी। 1938 के सूरत अधिवेशन में बोस बने थे अध्यक्ष
सूरत के हरिपुरा में पार्टी का दूसरी बार अधिवेशन 19 फरवरी 1938 का 51वां सत्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अध्यक्षता में हुआ। सत्र के अंत में अगले सत्र के लिए अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए नेताजी और पट्टाभि सीतारमैया के बीच प्रतिस्पर्धा हुई। बोस ने भारी अंतर से जीत हासिल की, हालांकि सीतारमैया को गांधीजी का नामांकित माना जाता था।