UGC के नियमों में बड़ा बदलाव, विदेशी डिग्री को मिलेगी भारतीय डिग्री के समान मान्यता
केंद्र सरकार ने शुक्रवार देर रात यूजीसी विनियम, 2025 की अधिसूचना जारी की और नए नियम लागू किए इसके अनुसार अब UG, PG आदि की पढ़ाई पूरी करके लौटने वाले छात्रों की डिग्री और पाठ्यक्रम को भारतीय डिग्री के समकक्ष मान्यता मिलेगी।
UGC New Rule 2025: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) अब विदेशों से उच्च शिक्षा प्राप्त करके लौटने वाले छात्र-छात्राओं की डिग्री (Degree) को भारत में मान्यता देने से पहले उसकी जांच करेगा। इसके लिए यूजीसी एक पारदर्शी प्रणाली विकसित करेगा। अभी तक विदेश से डिग्री लेकर आने वाले छात्र-छात्राएं बिना किसी परेशानी के देश में आगे की पढ़ाई और नौकरियां प्राप्त कर लेते थे।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार देर रात यूजीसी (विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त योग्यताओं की मान्यता और समतुल्यता) विनियम, 2025 की अधिसूचना जारी की। इसके बाद यूजीसी ने नए नियम लागू किए। इन नए नियमों के अनुसार, अब यूजीसी की विशेषज्ञ समिति विदेश से स्नातक (UG), स्नातकोत्तर (PG) आदि की पढ़ाई पूरी करके लौटने वाले छात्रों की डिग्री और पाठ्यक्रम को भारतीय डिग्री के समकक्ष मान्यता देने से पहले निर्धारित मानकों के आधार पर कड़ी जांच करेगी।
ऑनलाइन पोर्टल पर होगी जांच
नई प्रणाली के तहत यूजीसी द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया जाएगा। इस पोर्टल पर विदेश से पढ़ाई करने वाले छात्रों को अपनी डिग्री, पाठ्यक्रम और विषयों से संबंधित जानकारी स्वयं अपलोड करनी होगी। विशेषज्ञ समिति इसकी समीक्षा करेगी। समिति को 10 कार्यदिवस के भीतर अपनी सिफारिश देनी होगी और 15 दिनों में अंतिम फैसला सुनाना होगा। यदि दस्तावेजों में कोई कमी पाई जाती है, तो संबंधित छात्र को दस्तावेज जमा करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान किया जाएगा, जबकि गलत जानकारी देने पर सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे। यदि सभी दस्तावेज सही पाए गए, तो पोर्टल के जरिए समकक्षता प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा।
भारत से विदेश में शिक्षा के लिए छात्र-छात्राएं
साल
संख्या
2019
5,86,337
2020
2,59,655
2021
4,44,553
2022
7,50,365
2023
8,92,989
2024
7,59,064
इन्हें रखा बाहर
नए नियमों से नर्सिंग, मेडिकल, लॉ, फॉर्मेसी, आर्किटेक्चर समेत 14 प्रोग्राम की डिग्री और पाठ्यक्रम को इससे बाहर रखा गया है। ये नियम देश के वैधानिक नियामक परिषदों के अधिकार में आने वाले क्षेत्रों में प्रदान की जाने वाली व्यावसायिक डिग्री पर भी लागू नहीं होंगे।
चुनौतियों का होगा समाधान
यह सुधार दीर्घकालिक चुनौतियों को समाधान करेंगे। यह भारत को शिक्षा के लिए वैश्विक केंद्र में बदलने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्य के अनुरूप है। भारतीय संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करना है, तो हमें विदेशी डिग्रियों की निष्पक्ष और समय पर मान्यता सुनिश्चित करनी होगी।