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Earthquake: आधी रात भारत-पाकिस्तान समेत डोल उठी 4 देशों की धरा, धरती के थर-थर कांपने से घबराए लोग

Earthquake: भारत, नेपाल, तिब्बत और पाकिस्तान के कई इलाकों में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए.

भारतFeb 28, 2025 / 08:23 am

Anish Shekhar

28 फरवरी 2025 की सुबह-सुबह, जब दुनिया नींद में डूबी थी, धरती ने अपनी बेचैनी का इजहार किया और चार देशों—भारत, नेपाल, तिब्बत और पाकिस्तान—को हिलाकर रख दिया। महज तीन घंटे के अंतराल में, विशाल हिमालय और उसके आसपास के इलाकों में धरती कई बार कांपी, जिसने लाखों लोगों को नींद से झकझोर दिया और प्रकृति की अप्रत्याशित शक्ति की याद दिला दी। पटना की हलचल भरी सड़कों से लेकर नेपाल की शांत घाटियों, तिब्बत के ऊबड़-खाबड़ मैदानों और पाकिस्तान के सादे कस्बों तक, भूकंप के झटकों ने अलग-अलग तीव्रता के साथ इन क्षेत्रों को एक साझा अनुभव में बांध दिया।

पटना, भारत: आधी रात का झटका

बिहार के दिल में बसा पटना सुबह 2:35 बजे अचानक जाग उठा। रात का सबसे शांत पहर अभी बीता ही था कि 5.5 रिक्टर स्केल की तीव्रता वाला एक जोरदार भूकंप आया। धरती के नीचे से एक गहरी गड़गड़ाहट उठी, जो कंक्रीट की दीवारों और लकड़ी के ढांचों तक पहुंची। सोते हुए लोग हड़बड़ा गए, तेज झटकों ने उन्हें बिस्तर से बाहर खींच लिया। लोग कंबल और अपनों को थामे घरों से बाहर भागे, सड़कों पर चिंता की फुसफुसाहट गूंजने लगी। भूकंप थमा तो एक अजीब-सी शांति छा गई। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने इसकी पुष्टि की, लेकिन राहत की बात यह रही कि नुकसान या हताहत की कोई खबर नहीं आई।

नेपाल: भूकंप का केंद्र

सीमा पार नेपाल में रात और भी बेचैन थी। सुबह 2:35 बजे बागमती प्रांत, जो बिहार के मुजफ्फरपुर से 189 किलोमीटर उत्तर में स्थित है, 5.5 तीव्रता के भूकंप से हिल गया। इसके ठीक 16 मिनट बाद, सुबह 2:51 बजे (स्थानीय समय), सिंधुपालचौक जिले में 6.1 तीव्रता का एक और तेज झटका लगा। इसका केंद्र भैरबकुंडा के पास था, जो हिमालय की तलहटी में बसा नेपाल का एक ऊबड़-खाबड़ इलाका है। झटके बाहर की ओर फैले, पूर्वी और मध्य नेपाल में जोर से महसूस हुए। घर हिले, खिड़कियां खड़खड़ाईं, और ठंडी हवा में हैरान आवाजों की हल्की गूंज सुनाई दी। फिर भी, सुबह होने तक नेपाल की मजबूत आत्मा चमक उठी—कोई बड़ा नुकसान या जानहानि की खबर नहीं आई, हालांकि स्थानीय प्रशासन सतर्क रहा।
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तिब्बत: हल्का लेकिन महसूस हुआ झटका

तिब्बत के ऊंचे पठार पर भी धरती की हलचल जारी रही। सुबह 2:48 बजे, 4.1 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र धरती की सतह से 70 किलोमीटर नीचे था। यह झटका अपने पड़ोसियों जितना तेज नहीं था, लेकिन इसके हल्के कंपन विशाल, हवा से भरे मैदान में फैल गए। भारत और नेपाल की सीमाओं से सटे इलाकों में भी इस गहरे भूकंप की गूंज महसूस हुई। तिब्बत की कम आबादी और मजबूत जमीन ने इस झटके को सह लिया, और एक बार फिर रात बिना किसी नुकसान के गुजर गई।

पाकिस्तान: सुबह का कंपन

जैसे ही सुबह होने को आई, पाकिस्तान भी इस कांपती धरती का हिस्सा बन गया। सुबह 5:14 बजे, 4.5 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने लोगों को ठंडी सुबह में घरों से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया। यह झटका नेपाल जितना तेज नहीं था, लेकिन इसने 16 फरवरी को रावलपिंडी के पास आए भूकंप की यादें ताजा कर दीं। इस बार भी धरती ने वही बेचैनी दिखाई, लेकिन नतीजा वही रहा—कोई नुकसान नहीं, कोई हानि नहीं, बस एक पल की घबराहट।

कौन से शहर जोखिम में हैं?

हिमालय के नजदीकी शहर जैसे दिल्ली-NCR, पटना, लखनऊ, देहरादून, श्रीनगर, और कोलकाता (बंगाल की खाड़ी के भूकंपीय जोखिम के कारण) भूकंप के प्रति संवेदनशील हैं। अगर कोई बड़ा भूकंप (7.0 या उससे अधिक) आता है, तो इन शहरों में नुकसान की आशंका बढ़ सकती है, खासकर जहां पुरानी इमारतें या अनियोजित निर्माण हैं। लेकिन “काल मंडराना” जैसी बात अतिशयोक्ति है, क्योंकि भूकंप की भविष्यवाणी संभव नहीं है, और छोटे झटके बड़े खतरे का संकेत नहीं होते।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी और अन्य वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये झटके सामान्य टेक्टोनिक गतिविधि का हिस्सा हैं। छोटे और मध्यम भूकंप ऊर्जा को धीरे-धीरे रिलीज करते हैं, जिससे कभी-कभी बड़े भूकंप का खतरा कम हो जाता है। हालांकि, भारत में तैयारी की कमी (जैसे भूकंप-रोधी इमारतें) चिंता का विषय है।

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